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चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन की खाली जमीन को लीज पर देने की तैयारी जमीन को लीज पर देने के लिए जारी किया रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल

February 21, 2021 06:47 PM

चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन की खाली जमीन को लीज पर देने की तैयारी
जमीन को लीज पर देने के लिए जारी किया रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल
रमेश गोयत
चंडीगढ़।- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो- भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी) ने देश में रेलवे स्टेशन लीज पर देने के बाद अब चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन की स्टेशन की खाली जमीन को भी लीज पर देने की तैयारी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल से इसकी मंजूरी भी मिल गई है। यह जमीन 99 वर्ष तक के लीज राइट्स के आधार पर जमीन पर मिश्रित उपयोग के लिए इच्छुक संस्थाओं से बोलियां आमंत्रित की गई हैं। लीज पर देने लायक चारों भूखंड-एसपी 4 (12,427 स्क्वायर मीटर), एसपी 5 (15,027 स्क्वायर मीटर), एसपी 6 (17,890 स्क्वायर मीटर) और एसपी 7 (11,347 वर्ग मीटर) करीब 56,691 स्क्वायर मीटर में फैला हुआ है, जिसका कुल बिल्ट-अप एरिया (बीयूए) 2,32,341 स्क्वायर मीटर है। सभी चार भूखंड के लिए बोली लगा सकते है या अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग भूखंड के लिए भी बोली लगा सकते है। इसके लिए 12 मार्च 2021 को प्री-बिड मीटिंग आयोजित की जाएगी और बिड जमा करने की अंतिम तिथि 16 अप्रैल 2021 तय की गई है।
परियोजना को लेकर आईआरएसडीसी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी एसके लोहिया ने कहा कि यात्रियों को बेहतर यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन को एक विश्व स्तरीय परिवहन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। ये खाली भूखंड चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन पुनर्विकास का हिस्सा हैं और डेवलपमेंट के बाद मिश्रित उपयोग के लिए उपयुक्त है। इस भूखंड पर डेवेलपमेंट होने से आसपास के क्षेत्र में रियल एस्टेट की संभावनाएं भी बढ़ेंगी। पुनर्विकास से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, रोजगार के अवसर पैदा होंगे और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
परियोजना की मुख्य विशेषताएं
रियल एस्टेट के लिए 99 साल तक के दीर्घकालिक लीज-राइट्स, रेलवे स्टेशन के पुनर्विकास के लिए देश भर में भूमि उपयोग में बदलाव की आवश्यकता नहीं है, आईआरएसडीसी रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 11 के तहत प्रदत्त शक्ति के संदर्भ में स्थानीय अधिकारियों के परामर्श से अपनी मास्टर प्लान को मंजूरी देगा, लीज को बिल्ट-अप एरिया के कई सब-लीज में प्रवेश करने की अनुमति है। उच्चतम लीज प्रीमियम बोली पैरामीटर होगा जो कई किश्तों में देय होगा, वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) या विदेशी निवेश कोष भी भाग लेने के लिए पात्र हैं।
भारत में रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास
भारत भर में रेलवे स्टेशनों का पुनर्विकास रेल मंत्रालय, भारत सरकार का एक प्राथमिक एजेंडा है। यह एजेंडा पीपीपी परियोजनाओं के एक हिस्से के रूप में प्राइवेट प्लेयर्स की भागीदारी के साथ सरकार द्वारा जोर-शोर से चलाया जा रहा है। इस एजेंडा के तहत, 123 स्टेशनों के पुनर्विकास का काम जारी है। इसमें से आईआरएसडीसी 61 स्टेशनों पर और आरएलडीए 62 स्टेशनों पर काम कर रहा है। वर्तमान अनुमानों के अनुसार, रियल एस्टेट डेवलपमेंट के साथ 123 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आवश्यक कुल निवेश लगभग 50 हजार करोड़ रुपये है।
आईआरएसडीसी के बारे में
भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम लिमिटेड (आईआरएसडीसी), रेल भूमि विकास प्राधिकरण (आरएलडीए), इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड (इरकॉन) और रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है। आईआरएसडीसी, भारतीय रेलवे के रेलवे स्टेशनों को विश्व स्तरीय 2437 हब में बदलने के मिशन के केंद्र में है और रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए नोडल एजेंसी और मुख्य परियोजना विकास एजेंसी (पीडीए) है। इन पुनर्विकसित रेलवे हब को ‘रेलोपोलिस’ कहा जाएगा, क्योंकि यह निवेश और व्यापार के अवसरों को आकर्षित करेगा।
रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास को तेज करने और कमर्शियल डेवलपमेंट के वास्तविक मूल्य का उपयोग करने के लिए, आईआरएसडीसी/रेल मंत्रालय द्वारा निम्नलिखित उपकरण विकसित किए गए हैं, जो भारत में रेलवे स्टेशनों की योजना, डिजाइन, निविदा, कार्यान्वयन और प्रबंधन के लिए सभी प्रक्रियाओं को कारगर बनाने के लिए है।

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