चंडीगढ़ - अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-चंडीगढ़ शहर में बिकने वाली सब्जियों और फल के दाम अब हर दिन प्रशासन ही तय करेगा। ऐसे में वेंडर्स अब मनमर्जी से रेट वसूल नहीं कर पाएंगे। मार्केट कमेटी ने अपनी मनमर्जी से हर दिन रेट तय करने के सिस्टम पर दिसंबर के पहले सप्ताह में रोक लगा दी थी लेकिन रेजिडेंट्स के दबाव के कारण प्रशासन ने फिर से रेट तय करने का सिस्टम शुरू कर दिया है। सरकारी स्तर पर रेट तय होने से शहरवासियों को राहत मिलती है। लाकडाउन के दौरान शहरवासियों की सुविधा के लिए कमिश्नर केके यादव के आदेश पर मार्केट कमेटी ने सब्जियों और फल के दाम तय करके वेंडर्स को बेचने के लिए कहा था। प्रतिदिन होलसेल के रेट को देखते हुए उससे ऊपर 20 से 30 फीसद का मार्जन रखकर रिटेल के दाम तय करने की जिम्मेवारी मार्केट कमेटी के सचिव के पास है। इसका फायदा यह भी होता है कि पूरे शहर में सब्जी का एक ही रेट होता है। कोरोना में ज्यादा से ज्यादा वेंडर्स को सब्जियां और फल बेचने की मंजूरी दी गई। इस समय शहर में लगने वाली साप्ताहिक मंडियां बंद है। इसलिए मार्च और अप्रैल में जिन वेंडर्स को बस में बिठाकर लोगों के रिहायशी इलाके तक सब्जियां और फल की सप्लाई पहुंचाई गई उन्हें अब नगर निगम की ओर से सरकारी जमीन पर निशुल्क बिठाया गया है। इस समय शहर में 800 से ज्यादा वेंडर्स सब्जी और फल बेचने का काम कर रहे हैं। मार्केट कमेटी द्वारा सब्जियों और फल के जो सरकारी रेट तय किए जाते है, उनकी सूची अधिकारियों और कर्मचारियों की ओर से शहरवासियों के वाट्सएप ग्रुपों में भी जानकारी के लिए शेयर की जाती थी। इस समय सब्जियों के दाम निरंतर गिर रहे हैं। सब्जियों की सप्लाई भी बढ़ गई है। मार्केट कमेटी होलसेल में होने वाले कारोबार का रिकार्ड भी रखता है। जिस पर दो फीसद फीस भी मार्केट कमेटी को कमाई के तौर पर मिलती है।यह अच्छा है कि मार्केट कमेटी ने फिर से सब्जियों और फल के रिटेल में रेट तय करने शुरू कर दिए हैं। लेकिन प्रशासन को तय रेट से ज्यादा वसूल करने वाले विक्रेताओं पर भी सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए तभी इस सिस्टम का फायदा है। मनमर्जी के रेट वसूल करने वाले वेंडर्स को काम करने का अधिकार नहीं देना चाहिए।
==