चंडीगढ़,4 मई सत्य सत्यनारायण गुप्ता-: मुश्किल समय दौर में, जब देश कोविड -19 की दूसरी लहर के साथ लड़ रहा है ऐसे में फार्मा क्षेत्र को बढती कीमतों और एक्टिव फार्मास्यूटिकल इंग्रिडियंटस(एपीआई) की कमी का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि 85 प्रतिशत एपीआई चीन से आयात होता है। एसोचैम ने सोमवार को चीन से आयात में अड़चन को दूर करने के लिए सरकारी हस्तक्षेप की मांग की।
एसोचैम उत्तरी क्षेत्र ने इस मुद्दे पर चर्चा के लिए एक ऑनलाइन बैठक का आयोजन किया, जो कि एसोचैम रीजनल काउंसिल ऑन पॉलसी एडवोकेसी इंनिशियेटिव के चेयरमैन श्री विवेक अत्रे अध्यक्षता में किया गया था जिसमें उत्तरी राज्यों के सभी स्टेट डवलपमैंट काउंसिल के चेयरमैनों ने हिस्सा लिया।
इस मौके पर ऐसोचैम, नार्थ रीजनल डवलपमैंट काउंसिल के चेयरमैन, श्री एएस मित्तल ने कहा कि इस तरह के कार्य इस चुनौतीपूर्ण समय के दौरान स्वीकार्य नहीं हैं जब पूरा देश महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। हम अधिकारियों से इस कार्य के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई करने के लिए तत्काल हस्तक्षेप का आग्रह करते हैं।
श्री विवेक अत्रे ने कहा कि फार्मा सेक्टर के लिए आवश्यक घटक के रूप में एपीआई के मूल्य निर्धारण में संतुलन करने की जरूरत महत्वपूर्ण है और यह तत्काल आवश्यकता है।
जिन दवाओं के लिए कच्चे माल की लागत कई गुना बढ़ गई है, उनमें पैरासिटामोल (कीमत 350 रुपये से 790 रुपये प्रति किलो), प्रोपलीन ग्लाइकोल (140 रुपये से 400 रुपये प्रति किलो) इवर्मेकटीन (18,000 रुपये से 52,000 रुपये प्रति किलोग्राम) डॉक्सीसाइक्लिन (6000 रुपये) प्रति किलो 12,000 रुपये) और एजि़थ्रोमाइसिन (8,000 रुपये से 12,000 रुपये प्रति किलोग्राम) शामिल है।