कोरोनावायरस (कोविड-19) का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोरोना का विकराल रूप नियंत्रण में आने की बजाय अधिक विकराल होता जा रहा है। कोरोनावायरस के खिलाफ पूरे देश में ‘जंग’ जारी है। संकट के इस दौर में अपनी जान को जोखिम में डालते हुए तमाम पत्रकार अपनी ड्यूटी निभा रहे हैं और कोरोना को लेकर रिपोर्टिंग भी कर रहे हैं। ऐसे में कई पत्रकारों के कोरोनावायरस की चपेट में आने से मौत की खबरें भी सामने आई हैं औऱ तमाम पत्रकार विभिन्न अस्पतालों में अपना इलाज करा रहे हैं। लिहाजा, इसे देखते हुए बिहार सरकार ने राज्य में पत्रकारों को प्राथमिकता के आधार पर कोरोना का टीका लगाए जाने का फैसला लिया है।
दरअसल, राज्य सरकार द्वारा सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा एक्रिडेटेड सभी पत्रकारों के साथ-साथ जिला जनसंपर्क पदाधिकारी द्वारा सत्यापित नॉन एक्रिडिटेड पत्रकारों (प्रिंट,इलेक्ट्रानिंक और डिजिटल) को प्राथमिकता के आधार पर कोविड-19 के टीकाकरण के लिए फ्रंटलाइन वर्कर का दर्जा दिया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को इस आशय का निर्देश दिया है। बिहार सरकार के इस फैसले से कोरोना संक्रमण के इस दौर में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रहे पत्रकारों को जल्द टीका लगाया जा सकेगा, जिससे वे संक्रमण से सुरक्षित हो पाएंगे।
बता दें कि ऐसा करने वाला बिहार उड़ीसा के बाद देश का दूसरा राज्य बन गया है। इससे पहले उड़ीसा सरकार ने भी बयान जारी कर पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर मानने की बात रविवार को कही है। उड़ीसा ने जारी किए गए बयान में कहा है कि ओडिशा के तमाम पत्रकार फ्रंटलाइन वॉरियर हैं। उन्होंने इस कोरोना काल में बेहतरीन काम किया है। लोगों तक जरूरी खबरें पहुंचाई हैं, कोरोना को लेकर जागरूक किया है और इस महायुद्ध में एक सक्रिय भूमिका निभाई है।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान पत्रकार दिन-रात फील्ड में रहकर रिपोर्टिंग करते हैं। ऐसे में कोरोना संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है। यही वजह है कि दिल्ली समेत कई राज्य में पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर्स घोषित कर कोरोना वैक्सीन प्राथमिकता के आधार पर दिए जाने की मांग हो रही है। ऐसे में उड़ीसा के बाद बिहार ऐसा दूसरा राज्य है, जिसने पत्रकारों को फ्रंटलाइन वर्कर माना है।