संतों की संगति से आनंद की प्राप्ति होती है: हरिराम
सफीदों, (- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- ): झूठ बोलना, नशा करना, हिंसा करना, जीवों को दुख देना और चोरी करना महापाप है। उक्त उद्गार भक्त हरिराम ने उपमंडल के कुरड गांव स्थित गुरू गौरखनाथ आश्रम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए प्रकट किए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को इन पापों से सदैव दूर रहना चाहिए। संसार में जो मनुष्य अपने माता-पिता का सेवा नहीं करता है उन्हें कभी स्वर्ग नसीब नहीं हो सकता है। स्वर्ग तो माता-पिता के चरणों में ही बसता है। उन्होंने कहा कि चोरी करने व पराई स्त्रियों पर बुरी नजर रखने वाला मनुष्य संसार में सबसे बड़ा पाप का भागीदारी बनता है। सत्संग प्रवचन सुनने से पुण्य की कमाई होती है। संत कबीर कहते हैं खाली होगा हाथ अंत समय भगवान का भजन जाएगा साथ। संतों की संगति करने से पूर्ण आनंद की प्राप्ति होती है। सत्संग करके कोई भी कार्य करते हैं तो वह मंगलमय ढंग से संपन्न हो जाता है। सत्संग एक ऐसी दरिया है, जिसमें केवल अमृत भरा हुआ रहता है। उसमें डुबकी लगाने से जीवन की समस्त व्याधियां दूर हो जाती हैं।