अन्तर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के कारण खाद्य तेलों के दामों में भी पिछले पंद्रह दिन में भयंकर रूप से वृद्घि हुई है । स़ोया, मुंगफली, सरसों, पाम आयल, सूरजमुखी आदि सभी खाद्य तेलों में बीस से पच्चीस रूपये प्रति ्ली्टर तक बढोतरी हो चुकी है
सरसों तेल के दाम तो अप्रत्याशित रूप से बढे हैं । लगभग एक महीना पहले तक गगन, नेचरफ्रेश
मशाल, फार्च्यून आदि ब्रांड के सरसों तेल का होलसेल दाम ओसतन 95 ₹ प्रति लीटर था, जो कि आज ओसतन 120 ₹ प्रति लीटर पर पहुंच गया है । इसी प्रकार मूंगफली रिफाइंड तेल पहले लगभग 120 ₹ प्रति लीटर था, वह अब लगभग 153 ₹ प्रति लीटर बिक रहा है ।
सबसे ज्यादा बढोतरी सूरजमुखी तेल के दामों में हुई है । यह तेल पंद्रह दिन पहले 97 ₹ लीटर बिक रहा था , इसमें लगभग सत्ताईस रूपये प्रति लीटर की बढोतरी हुई है । सोयाबीन रिफाइंड तेल के दाम भी पहले के 90 ₹ के मुकाबले लगभग तेरह रूपये प्रति लीटर बढ चुके हैं ।
वनस्पति घी का पंद्रह किलो का टीन चौदह सो तीस से बढ कर 1590 , पाम आयल 1330 से 1470, सूरजमुखी रिफाइंड तेल 1670 से बढ कर 1875 तक पहुंच गई है ।
अधिकतर हलवाई काटनसीड रिफाइंड तेल का इस्तेमाल करते हैं, दस दिन पहले 1460 ₹ में बिक रहे टीन का दाम 1590 ₹ पहुंच गया है । डालर के मुकाबले रूपये के पतन तथा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में पाम ओर सोया के दाम बढने से वनस्पति घी के दाम भी सात रूपये लीटर तक बढ गए हैं ।
चंडीगढ़ में नेचरफ्रेश, रथ वनस्पति के सुपरस्टाकिस्ट तथा पंचकूला में मार्कफेड तथा गगन, गिन्नी रिफाइंड तेल के डिस्ट्रीब्युटर अग्रवाल एजेंसीज के मालिक मनोज अग्रवाल ने बताया कि सरसों तेल के दाम जून महीने के प्रारम्भ में पांच सात रूपये बढ जाना एक सामान्य प्रक्रिया है, क्योंकि जून में आम का अचार डाला जाता है, जिसमें सरसों तेल इस्तेमाल होता है । लेकिन इस बार लाकडाउन की वजह से सरकारों ने राशन डिपूओं के माध्यम से या राशन किटों में सरसों तेल बंटवाया था जिससे शार्टेज हुई है ।
मनोज अग्रवाल ने बताया कि इस बार केन्द्रीय खरीद एजेंसी नैफेड आदि ने लगभग दस लाख टन सरसों की खरीद सरकारी समर्थन मूल्य पर की है । इससे खुले बाजार में सरसों की कमी होने से तेल मिलों को आवश्यकता अनुसार सरसों नहीं मिल पा रही है । इसलिए सरसों तेल में तेजी बनी हुई है । हालांकि अभी ना तो होटल, रेस्टोरेंट ओर हलवाई पूरे तौर पर खुले हैं ना ही विवाह शादियों का सीजन है, उसके बावजूद तेल तेज हो गए हैं । जबकि त्योहारी सीजन अभी एक महीना दूर है ,
ओर हलवाइयों की मांग अभी तक नहीं बनीं ।