आर्यसमाज चण्डीगढ़ की ओर से आज 31 जुलाई 2020 को महान क्रांतिकारी ऊधमसिंह कम्बोज के बलिदान स्मृति में पौधारोपण एवं उधम संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में आचार्य अशोक पाल ने बताया कि उधम सिंह कम्बोज जी 13 अप्रैल 1919 को घटित जालियाँवाला बाग नरसंहार के प्रत्यक्षदर्शी थे। राजनीतिक कारणों से जलियाँवाला बाग में मारे गए लोगों की सही संख्या कभी सामने नहीं आ पाई। इस घटना से वीर उधमसिंह तिलमिला गए और उन्होंने जलियाँवाला बाग के बलिदानियों की स्मृति में माइकल ओ डायर को सबक सिखाने की प्रतिज्ञा ले ली। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 21 साल बाद 13 मार्च 1940 को रायल सेंट्रल एशियन सोसायटी की लंदन के काक्सटन हाल में बैठक थी जहां माइकल ओ डायर भी वक्ताओं में से एक था। उधम सिंह उस दिन समय से ही बैठक स्थल पर पहुंच गए। अपनी रिवॉल्वर उन्होंने एक मोटी किताब में छिपा ली। इसके लिए उन्होंने किताब के पृष्ठों को रिवॉल्वर के आकार में उस तरह से काट लिया था, जिससे डायर की जान लेने वाला हथियार आसानी से छिपाया जा सके। बैठक के बाद दीवार के पीछे से मोर्चा संभालते हुए उधम सिंह ने माइकल ओ डायर पर गोलियां दाग दीं। दो गोलियां माइकल ओ डायर को लगीं जिससे उसकी तत्काल मौत हो गई। उधम सिंह ने वहां से भागने की कोशिश नहीं की और अपनी गिरफ्तारी दे दी। उन पर मुकदमा चला। 4 जून 1940 को उधम सिंह को हत्या का दोषी ठहराया गया और 31 जुलाई 1940 को उन्हें पेंटनविले जेल में फांसी दे दी गई। उन्हीं की स्मृति में आज देशभर में कार्यक्रम आयोजित किये गये। आर्यसमाज चण्डीगढ़ द्वारा पौधारोपण एवं उधम संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर आर्य शिवनारायण, प्रदीप त्रिवेणी, ऋषि बतरा, राजबीर सिंह, धर्मपाल, रजनीश आदि अनेक गणमान्य राष्ट्रवादी जन उपस्थित थे।