पंचकूला | अग्रजन पत्रिका के लिए सत्यनारायण गुप्ता- हरियाणा ग्रंथ अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने आज कहा कि शहीदों, संत महात्माओं व अन्य महापुरुषों की जयंतियां व उनसे जुड़े अन्य दिन भारतीय कालगणना के अनुसार मनाए जाने की परंपरा शुरू होनी चाहिए। भारतीय कालगणना न केवल वैज्ञानिक है बल्कि हमें इसलिए भी भानी-लुभानी चाहिए क्योंकि वह हमारी अपनी है। डॉ. चौहान हरियाणा ग्रंथ अकादमी के तत्वावधान में आयोजित ऑनलाइन कवि सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे थे। कवि सम्मेलन वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप व बुंदेलखंड के महाराजा छत्रसाल को समर्पित किया गया जिनकी जयंती जेष्ठ शुक्ल तृतीया को आती है। डॉ. चौहान ने कहा कि हरियाणा सरकार ने भारतीय कालगणना के अनुसार आज आधिकारिक रूप से महाराणा प्रताप को उनकी जयंती के दिन स्मरण किया है।
कोरोना काल की इस ऑनलाइन कवि गोष्ठी की अध्यक्षता कवयित्री शीला गहलावत ने की। कवि गोष्ठी में हरियाणा के विभिन्न भागों से नीरजा शर्मा, राशि श्रीवास्तव, संगीता शर्मा कुंद्रा, नीरू मित्तल, आभा साहनी आदि रचनाकारों ने अपनी रचनाओं का पाठ किया व योद्धाओं को नमन किया।
महाराणा प्रताप को याद करते हुए कवयित्री नीरजा शर्मा ने उनकी शौर्य गाथा कुछ यूँ दोहराई -
घर-घर में जिसकी गाथाएं आज भी गाई जाती हैं
हल्दी घाटी की शौर्य गाथा गर्व से दोहराई जाती है
कवयित्री राशि श्रीवास्तव ने अपनी रचना कोरोना काल के युद्धवीरों को समर्पित की -
शत शत नमन तुम्हें करते हैं , युद्धवीर है नाम दिया
हमें बचाने की खातिर , तुमने है बलिदान दिया
कवयित्री संगीता शर्मा कुंद्रा ने एक शूरवीर सैनिक की पिता के मनोभावों को प्रकट करते हुए कहा कि -
जा बेटा तू सीमा पर, मैं बैठ प्रार्थना करता हूँ
तेरे लम्बे जीवन की खातिर, मैं अराधना करता हूँ
भगत सिंह के गुरु शहीद करतार सिंह सराभा को समर्पित रचना में कवयित्री आभा साहनी अपने शब्द रखे -
कौन कर पाया , तुझ सा साहस
कौन कर पाया , तुझ सा त्याग
कवयित्री नीरू मित्तल हल्दी घाटी और चित्तोड़ से जुड़ी वीरता की यादों कुछ ऐसे प्रकट किया -
चमक रही हल्दी घाटी, वीरों की तलवार से
गूँज रही है हर दिशा, युद्ध की यलगार से
गौरवान्वित है हर पत्थर, हर दुर्ग चित्तोड़ का
महाराणा प्रताप की शूरवीरता के उद्गार से
अपने रचना में कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र सिंह चौहान ने नव भारत में सत संकल्पों की शक्ति का चित्र कुछ यूँ उकेरा -
मन आँगन बस्ती समाज में, नूतन शक्ति जगाएंगे
नव भारत में अपने सपने सच में ढलते जाएंगे
सृजनशीलता की स्वर लहरी से जीवन गुन्जाएंगे
सत संकल्पों की बयार में सब संकट बह जाएंगे