पंचकूला- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- श्री वनखं गुप्ता-डी दुर्गा मंदिर अमरावती एनक्लेव पंचकूला की 17वीं वर्षगाठ के अवसर पर मंदिर में पांच दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा का भव्य आयोजन किया गया। जिसके अतिंम दिवस का शुभारंभ अमरावती एनक्लेव के एमडी श्री कुलभूषण गोयल उनकी धर्मपत्नी श्रीमति अंजु गोयल उनके सुपुत्र श्री मयंक गोयल, अमरावती एनक्लेव के डायरेक्टर श्री हरगोबिंद गोयल उनकी धर्मपत्नी श्रीमति मीना गोयल उनके सुपुत्र श्री अनीश गोयल एवं संस्थान से स्वामी सतबीरानन्द जी ने प्रभु पावन ज्योति को प्रज्वलित कर के किया। कथा की अतिंम सभा के अन्तर्गत दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी विवेका भारती जी ने अपनी ओजस्वी वाणी से जहां एक ओर श्रीमद् देवी भागवत् महापुराण के महत्व से भक्तों को परिचित करवाया वहीं उन्होंने समाज में फैली भ्रांतियों के ऊपर से पर्दा उठाते हुए कहा कि आज बहुत से ऐसे लोग हैं जो मां भगवती के नाम पर अपना हित साधते हैं। बहुत सेे लोग काली माँ की पूजा करते हुए कई पशुओं की बलि देते हैं और सोचते हैं कि माँ खुश हो जाएगी। तो यह मात्र हमारी भ्रांति है। कोई भी माँ अपनी संतानों के रक्त से नहाकर प्रसन्न नहीं होती। हमारे ग्रंथों के भीतर जो कुछ लिखा है वह हमें तब तक समझ नहीं आ सकता जब तक हमें कोई समझाने वाला न मिल जाए। किसी भी ग्रंथ में पशुओं की बलि का जिक्र नहीं। लेकिन दुर्गुण रूपी पशुओं की बलि देने को अवश्य कहा है। अज्ञानता के कारण हम भीतर के अवगुणों रूपी पशुओं को समाप्त करने का प्रयास नहीं करते और अर्थ का अनर्थ कर देते हैं। इसलिए जरूरत है ऐसे सत्यनिष्ठ संत की जो हमें ग्रंथों में छिपे रहस्यों का सही अर्थ बता सके।
साध्वी जी ने श्रद्धालुगणों को बताया कि नवम नवरात्रे के दिन माँ की सिद्धिदात्री के रूप में पूजा की जाती है। सिद्धिदात्री अपने नाम से ही यह परिभाषित करती है कि वे सिद्धियों को देने वाली हैं। लेकिन हमारे जीवन में माँ इस रूप में तभी प्रकट होती है, जब हम समस्त विद्याओं की सारभूत ब्रह्मविद्या को धारण कर लेते हैं। माँ स्वयं कहती है कि जो लोग मेरी वास्तविक भक्ति को जान कर मेरी अराधना करते हैं, वे मुझमें और मैं उनमें स्थित रहती हूँ। वे मेरे द्वारा प्रदान की गई सिद्धियों को स्वत: ही प्राप्त कर लेते हैं। अत: भक्तजनों, माँ अपने नव रूपों में समग्र मानवजाति को यही संदेश देती है कि शुद्ध अंत: करण वाले मोक्षार्थी साधक को आत्मज्ञान की प्राप्ति में निरंतर प्रयत्नशील रहना चाहिए।
कथा की इस अंतिम सभा में अमरावती एनक्लेव के एमडी श्री कुलभूषण गोयल जी ने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के सभी साधु समाज का धन्यवाद किया एवं संस्थान की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे कार्यक्रम समय-समय पर मंदिर में होते रहने चाहिए। उन्होंने कहा कि दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ब्रह्मज्ञान के द्वारा समाज में बुराइयों को खत्म करने प्रयास कर रही है। सन्मान स्वरूप सभी साधु समाज को गोयल परिवार ने वस्त्र एवं माला अर्पण किये। कथा का समापन पूजन एवं आरती से किया गया। कार्यक्रम के अंत मे आये हुए सभी श्रदालुओ में भंडारे का वितरण किया गया।