पंचकूला।- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता---श्री सनातन धर्म मंदिर सभा सेक्टर 10 पंचकूला में वार्षिक मूर्ति स्थापना समारोह के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन कथा व्यास विदुषी कीर्ति किशोरी जी ने लोगों को प्रवचन सुनाकर भावभिवोर कर दिया। इस दौरान काफी संख्या में महिला एवं पुरुष कथा सुनने के लिये पहुंचे। सनातन धर्म मंदिर सभा के प्रधान मामचंद, संरक्षक मुंशी राम अरोड़ा, वरिष्ठ उपप्रधान भारत हितैषी और पैटर्न एसके शर्मा ने कीर्ति किशोरी जी का स्वागत किया। इसके बाद कीर्ति किशोरी ने लोगों को प्रवचन सुनाते हुए बताया कि हमें अपने माता पिता, गुरु एवं बुजुर्गों की सेवा करनी चाहिए। जब हम उनकी सेवा करेंगे, तभी हमारे बच्चे हमारी सेवा करेंगे। उन्होंने बताया भक्ति के कारण किसी भी प्राणी के घर भगवान पहुंच जाते हैं, भगवान के यहां जाति बंधन नहीं है। भगवान प्रेम के बंधन में बंधने वाले हैं।
कीर्ति किशोरी जी ने कहा कि हमें अनजाने में संतों, ब्राह्मणों, गुरुजनों और अपने से उम्र में बड़ों का अपमान नहीं करना चाहिए। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण राजा परीक्षित थे, जिन्होंने संत के गले में मृत सर्प डाला और उनके गले में जीवित सर्प खुद-ब-खुद डल गया और श्राप का भागी बनना पड़ा। जो किसी के लिए गड्ढा खोदता है, उसके लिए खाई पहले तैयार हो जाती है। कीर्ति किशोरी जी ने कहा कि विदुर जी महाराज चलते-फिरते तीर्थ थे। यह वचन युधिष्ठिर जी महाराज ने कहा है कि मनुष्यों का तीर्थ में जाने पर कल्याण होता है, लेकिन वह स्वयं उनके पास पहुंचकर कृपा करते हैं और बताया कि जिसका सरल स्वभाव होता है, उस पर भगवान की कृपा एवं दर्शन खुद ब खुद हो जाते हैं। इस अवसर पर सनातन धर्म मंदिर सभा सेक्टर 10 पंचकूला के प्रधान मामचंद मुख्य संरक्षक बाऊ दलजीत सिंह, संरक्षक मुंशी राम अरोड़ा, एसके शर्मा, एसएस सैनी, महासचिव एस पी विज, वरिष्ठ उपप्रधान भारत हितैषी, सुभाष शर्मा, धर्मशाला इंचार्ज प्रेम लाल गुप्ता, कोषाध्यक्ष विशाल बत्रा, सह कोषाध्यक्ष जी डी बत्रा, पैटर्न जीडी गौतम, पूर्व महासचिव राजकुमार शर्मा, महिला मंडल प्रधान प्रवीण प्रवेश, आभा गुप्ता, सत्या गौतम, रघुवीरी, आशा, संतोष, वनीता भी उपस्थित थीं।