सफीदों, (): उपमंडल सफीदों के किसानों में धान की फसल के अवशेष नहीं जलाने के प्रति जागरूता पैदा करने के लिए एसडभ्ीएम डा. आनंद कुमार शर्मा ने अपने कार्यालय में सोमवार को क्षेत्र के किसानों की बैठक ली। इस मौके पर बीडीपीओ कीर्ति सिरोहीवाल व कृषि विभाग के एसडीओ सत्यवान आर्य विशेष रूप से मौजूद थे। इस बैठक में करीब 12 गांवों के प्रगतिशील किसानों ने भाग लिया। किसानों को संबोधित करते हुए एसडीएम डा. आनंद कुमार शर्मा ने कहा कि धान की फसल की कटाई के बाद किसान फसल अवशेष प्रबंधन स्कीम का लाभ उठाएं। फसल अवशेष जलाने से फसल उत्पादन में काफी अंतर आता है और साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति भी कमजोर हो जाती है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने से भूमि में शत्रु कीटों की संख्या बढ़ जाती है और वायु प्रदुषण भी बड़े पैमाने पर होता है, ऐसे में मानव को अनेक प्रकार की बीमारियां होने का अंदेशा बना रहता है। पराली जलाने से पर्यावरण प्रदुषण के साथ-साथ जीव जन्तुओं को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है तथा पराली जलाने से उठने वाले धुंए से दुर्घटनाएं होने की संभावना बढ़ जाती है। किसानों को चाहिए कि वे पराली न जलाकर अपने आप को पर्यावरण मित्र बनाए। उन्होंने बताया कि अनुसूचित जाति के किसान भी व्यक्तिगत व कस्टम हायरिंग सैंटर श्रेणी में आवेदन कर सकते है। व्यक्तिगत श्रेणी में किसानों को कृषि यंत्रों में 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। इसी प्रकार से किसानों की सहकारी समिति, पंजीकृत किसान समिति, एफपीओ तथा पंचायत द्वारा कस्टम हायरिंग सैंटर स्थापित करने पर 80 प्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। चयन उपरांत किसान सूचीबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से मोलभाव करके अपनी पसंद के यंत्र से खरीद सकते है। कृषि यंत्रों की सूची विभागीय पोर्टल पर डाल दी गई है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे पराली का प्रयोग पशुचारे के रूप में करें या इसकी बिक्री किसी ठेकेदार को करके वे आय का अतिरिक्त साधन भी अपना सकते है। इसके अलावा बासमती धान की पराली किसान दो से तीन हजार रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से खरीदकर और इसका तुड़ा बनाकर राजस्थान समेत अन्य राज्यों में चारा बनाकर भेज सकते है। इस विधि से भी किसान अच्छा- खासा मुनाफा कमा सकते है। बैठक में किसानों ने अपनी समस्याओं को एसडीएम के सामने रखा जिन पर एसडीएम डा. आनंद कुमार शर्मा ने किसानों को आश्वास्त किया कि उनकी समस्याओं को उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाकर उनका निराकरण करवाया जाएगा। कृषि विभाग के एसडीओ सत्यवान आर्य ने बताया कि क्षेत्र के रेड जोन के गांव तथा येलो जोन के गांव के इच्छूक किसान ऑनलाईन आवेदन कर सकते है। साथ ही क्षेत्र के सभी गांवों की अनुसूचित जाति के किसान भी व्यक्तिगत एवं कस्टम हायरिंग श्रेणी में आवेदन कर सकते है। इस स्कीम के तहत अनुदान देने के लिए सारी प्रक्रिया का संचालन जिला स्तरीय कमेटी द्वारा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि जो किसान स्ट्रा बेलर से बेल बनाकर पराली प्रबंधन करना चाहते है उनकों सरकार द्वारा एक हजार रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान उपलब्ध करवाया जाएगा।