पंचकूला 10 सितम्बर- हरियाणा उर्दू अकादमी द्वारा प्रकाशित हरबंस सिंह की पुस्तक ‘सूफी सत्ता और समाज‘ का लोकार्पण हरियाणा अकादमी भवन में केंद्रीय साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार माधव कौशिक एवं उर्दू अकादमी के उपाध्यक्ष डॉ. चन्द्र त्रिखा द्वारा किया गया।
श्री माधव कौशिक ने इस अवसर पर अपने साहगर्भित वक्तव्य में डाॅ. हरबंस सिंह की लेखन शैली एवं गहन अध्ययन की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
इस अवसर पर डॉ. चन्द्र त्रिखा ने कहा कि ‘सूफी सन्त और समाज‘ पुस्तक कई अर्थांे में विलक्षण है। बहुत से विद्वान अद्वैतवाद और सूफी पन्थ में समानताओं को तलाशते हैं और कहीं न कहीं सूफी पंथ को भारतीय अध्यात्म दर्शन से प्रभावित बताने लगते हैं। लेकिन यह भी स्पष्ट है कि हिन्दी में सूफी कवियों का प्रत्यक्ष स्रोत वेदान्त नहीं था बल्कि इबनुल अरबी द्वारा प्रतिपादित वहदतुल वजूद था। वैसे वहदतुल वजूद और अद्वैतवाद में गहरा साम्य है और शायद यही इस भ्रांति का मुख्य कारण है। इस स्थल पर वुजूदी धारणा का स्पष्टीकरण आवश्यक है। इसमें सूफी कवियों का मूल स्रोत स्वयंमेव उजागर हो जाता है। पुस्तक के लेखक डॉ. हरबंस सिंह ने पुस्तक की रचना प्रक्रिया के बारे में विस्तार से चर्चा की।
इस मौके पर डॉ. विजेन्द्र, श्याम सुंदर, एस ए हन्नान और डॉ. जतिन्दर परवाज़ मौजूद रहे।