दिल्ली ब्रेकिंग
*पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह की प्रेस से वार्ता:*
• संवाद पुनः शुरू करने के लिए बड़े स्तर पर प्रयास कर रहा हूँ। संगठन की एक अहम बैठक में इस मुद्दे को उठाऊँगा। अब समय आ गया है कि बैठ कर बात करें।
•जब भारत व पाकिस्तान हज़ारों किलोमीटर दूर बैठ कर संवाद व कूटनीति के दम पर ceasefire कर सकते हैं तो संवाद से अपने ही लोगों की समस्या हल क्यों नहीं हो सकती?
•किसान आंदोलन को हल्के में लेने वाले सिर्फ़ अपना मन बहला रहे हैं। किसान बिना किसी फ़ैसले के उठ जाएगा, ये सोचना ग़लत। किसान आंदोलन का शांति से चलना बड़ी उपलब्धि। किसान वर्ग बड़े दिल का होता है, उसको खुश करके जो माँगो वो देता है किसान, ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं सहता।
•तीन कृषि क़ानून के बारे में किसान क्या सोचता है उसका समाधान ज़रूरी। किसान को अपनी ज़मीन खोने का अन्देशा, जब तक ये शंका रहेगी, आंदोलन का ख़त्म होना मुश्किल।
• SDM को झगड़ा निपटाने की शक्ति मिलने पर बोले- किसान के लिए बड़े व्यक्ति से अपना हक़ लेना मुश्किल, इसलिए संशय होना जायज़।
• खेती ने अपनी पैदावार से कोरोना काल में Production व Export से अर्थव्यवस्था को सम्भाला।
• खेती का मतलब सिर्फ़ हरियाणा पंजाब नहीं, छोटी से छोटी ज़मीन का मलिक भी किसान।
• इस न्यायसंगत युद्ध में किसान को संतुष्ट करें, मैंने पहले भी कहा है- तीनो क़ानूनों को किसानों को सौंपे सरकार, इससे ज़िद ख़त्म होगी व विश्वास बहाली होगी। कृषि मंत्री जी ने संशोधन माँगे थे, अगर इस शब्द का इस्तेमाल ना होता तो अर्थ वही निकलता जो मैं कह रहा था।
*बेरोज़गारी के आँकड़ो पर बोले चौधरी बीरेंद्र सिंह*- सिर्फ़ सरकारी नौकरी से बेरोज़गारी ख़त्म करना मुमकिन नहीं। नए तरीक़े की सोच ज़रूरी। उत्पाद को बनाने के साथ साथ Branding में प्रोत्साहन दे सरकार।