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रेल-सड़क-हवाई अड्डा, बेचेगी नहीं 'किराये' पर चढ़ाएगी सरकार, कितने करोड़ की कमाई होगी बड़े पूरी करें

August 25, 2021 06:35 PM

National monetisation pipeline: रेल-सड़क-हवाई अड्डा, बेचेगी नहीं 'किराये' पर चढ़ाएगी सरकार, होगी 6 लाख करोड़ की कमाई*

National monetisation pipeline: केंद्र सरकार ने एसेट मोनेटाइजेन के लिए नीति आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा दिया था. नीति आयोग ने बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर वाले मंत्रालयों के साथ सलाहकर उन संपत्तियों की सूची तैयार की है जहां एसेट मोनेटाइजेशन की संभावना है. ये सेक्टर हैं. रेलव, सड़क परिवहन और हाईवे, जहाजरानी, टेलिकॉम, बिजली, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, युवा मामले और खेल. 

 

सोमवार को जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन कार्यक्रम की शुरुआत की तो सबसे ज्यादा चर्चा हुई 6,00,000 करोड़ की उस रकम की हुई जिसे सरकार इस योजना के जरिए हासिल करने वाली है. आखिर नरेंद्र मोदी सरकार क्या करने वाली है जिससे कि सरकार को इतनी भारी भरकम रकम मिलने जा रही है. जैसा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का दावा है कि इस प्रोग्राम से सरकार को 4 साल में यानी कि 2025 तक 6 लाख करोड़ रुपये की आमदनी होगी. 

 

केंद्र सरकार घाटे में चल रही सार्वजनिक कंपनियों को बेच रही थी ये जानकारी आपके पास तो पहले से होगी. लेकिन सरकार अब अपनी कमाई के लिए बुनियादी क्षेत्र की परियोजनाएं, जैसे रेल, सड़क, एयरपोर्ट, गैस पाइपलाइन, स्टेडियम, बिजली, गोदाम को निजी क्षेत्रों के बड़े खिलाड़ियों को कुछ समय के लिए देगी और उसके बदले में उनसे मोटा 'किराया' वसूल करेगी. आम बोल-चाल की भाषा में आप कह सकते हैं कि इन बड़े प्रोजेक्ट को सरकार 'किराये' पर चढ़ाएगी. 

 

ध्यान रहे कि केंद्र सरकार के अनुसार इस पूरी प्रक्रिया में इन प्रोजेक्ट का स्वामित्व निजी कंपनियों को हस्तांतरित नहीं होगा. कुछ सालों के बाद इन प्रोजेक्ट के संचालन की जिम्मेदारी केंद्र सरकार फिर अपने हाथों में ले लेगी. ये समय कितना लंबा होगा ये केंद्र और निजी कंपनियों के बीच समझौते पर तय करेगा. आइए अब इस प्रोग्राम को विस्तार से जानते हैं. 

 

*What is National monetisation pipeline*

 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण जब साल 2021-22 का बजट पेश कर रही थीं तभी उन्होंने नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन की चर्चा की थी. तब वित्त मंत्री ने कहा था कि बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर का खर्च जुगाड़ करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र यानी की सरकारी संपत्तियों का मोनेटाइजेशन मुख्य जरिया होगा. बता दें कि मोनेटाइजेशन का सीधा मतलब है मौद्रिकरण यानी कि पैसा कमाना, पैसा बनाना. यानी कि सरकार बड़ी परियोजनाओं का खर्च निकालने के लिए सरकारी संपत्तियों से पैसा कमाएगी. 

 

अब सवाल उठता है कि सरकार कैसे पैसा कमाएगी? किन सरकारी संपत्तियों से पैसा कमाएगी? नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन के तहत आठ मंत्रालयों की संपत्ति निजी कंपनियों के साथ साझा की जा सकेगी या फिर किराये पर दी जा सकेगी. साझा करने का मतलब यह है कि किसी भी प्रोजेक्ट को सरकारी और निजी कंपनी मिलकर विकसित करेंगी और चलाएंगी जबकि किराये पर दिए जाने का अर्थ यह है कि पूरा प्रोजेक्ट ही निजी कंपनी को दिया जाएगा और सरकार इन कंपनियों से इसके एवज में पैसे लेगी. 

 

जिन प्रोजेक्ट को सरकार निजी कंपनियों को देना चाहती है अथवा साझा करना चाहती है सरकार ने इनकी पहचान की है. 

 

*एसेट मोनेटाइजेशन क्या है?*

 

संपत्ति मौद्रिकरण का अर्थ सरकारी क्षेत्र की उन संपत्तियों से राजस्व या आय के नए साधनों के रास्ते खोजना है जिनका अबतक पूरा दोहन नहीं किया गया है. चूंकि सरकार पूंजी की किल्लत से जूझ रही है इसलिए सरकार चाहती है कि निजी कंपनियां पैसे लगाए. बता दें कि कई सरकारी कंपनियां, प्रोजेक्ट लचर प्रबंधन, पूंजी की किल्लत, तकनीकी अक्षमता से जूझ रही है. सरकार को कहीं न कहीं से लगता है कि ये कंपनियां प्राइवेट हाथों में आकर अपना हुलिया बदलेंगी और सरकार के लिए बोझ साबित नहीं होगीं. इससे सालों से बेकार पड़े सरकारी संसाधनों का समुचित उपयोग तो होगा ही सरकार को फायदा भी होगा.

 

*किन किन सेक्टर में एसेट मोनेटाइजेशन होगा*

 

केंद्र सरकार ने एसेट मोनेटाइजेशन के लिए नीति आयोग को एक रिपोर्ट तैयार करने का जिम्मा दिया था. नीति आयोग ने बुनियादी इंफ्रास्ट्रक्चर वाले मंत्रालयों के साथ सलाहकर उन संपत्तियों की सूची तैयार की है जहां एसेट मोनेटाइजेशन की संभावना है. ये सेक्टर हैं. रेलव, सड़क परिवहन और हाईवे, जहाजरानी, टेलिकॉम, बिजली, नागरिक उड्डयन, पेट्रोलियम और नैचुरल गैस, युवा मामले और खेल. 

 

सरकार जिन संपत्तियों के मोनेटाइजेशन की योजना बना रही है उन्हें ब्राउनफील्ड एसेट्स कहते हैं. ये वैसी संपत्तियां हैं जिनका पूरा वित्तीय इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. लेकिन जहां सरकारी पूंजी पहले लग चुकी है. पर कई कारणों से उसका पर्याप्त इस्तेमाल नहीं हो पा रहा है. सरकार ऐसी ही संपत्तियों के मोनेटाइजेनशन प्लान बना रही है.  

*कहां से आएगा कितना पैसा*

 

*रेलवे*

सरकार के एसेट मोनेटाइजेशन में रेलवे और राजमार्गों का बड़ा रोल रहने वाला है. पीटीआई के अनुसार सरकार रेल सेक्टर से स्टेशन, ट्रैक, पैसेंजर ट्रेन, कोंकण रेलवे को मोनेटाइज करने वाली है. इससे चार साल में सरकार को 1.52 लाख करोड़ मिलेंगे. सरकार अगले चार साल में 400 रेलवे स्टेशन, 90 पैसेंजर ट्रेन, 1400 किलोमीटर रेलवे ट्रैक, 741 किलोमीटर का कोंकण रेलवे, 15 रेलवे स्टेडियम, रेलवे के 265 गोदाम शामिल हैं.  

 

*सड़क*

सड़कों के मोनेटाइजेशन से केंद्र की तिजोरी सबसे ज्यादा भरेगी. अगले चार साल में सड़कों के मोनेटाइजेशन से केंद्र को 1.60 लाख करोड़ मिलेंगे. इसके लिए केंद्र 26,700 किलोमीटर की मौजूदा सड़क और नई बनने वाली सड़कों को मोनेटाइज करेगी. 

 

*बिजली*

केंद्र सरकार 28,608 सर्किट किलोमीटर पावर ट्रांसमिशन को मोनेटाइज कर रही है यानी कि निजी कंपनी को देने जा रही है. इससे सरकार को लगभग 45200 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा, जबकि 6 गीगावाट बिजली उत्पादन करने वाली संपत्तियों के मोनेटाइजेशन से सरकार को 39,832 करोड़ राजस्व की प्राप्ति होगी. 

 

*टेलीकॉम सेक्टर*

देश की सरकार 2.86 किलोमीटर के भारत नेट फाइबर को मोनेटाइज करने जा रही है. जबकि बीएसएनएल और एमटीएनएल के 14917 टावरों को सरकार निजी कंपनियों को देगी. सरकार को इससे 35100 करोड़ रुपये मिलेंगे.   

 

*कोयला खदान और गोदाम*

पीटीआई के अनुसार अगले चार सालों में गोदाम और कोयला खदान के मौद्रिकरण से यानी कि निजी कंपनियों को देने से सरकार को 29000 करोड़ रुपये मिलेंगे. 

 

*गैस पाइपलाइन*

सरकार 8154 किलोमीटर नैचुरल गैस पाइपलाइन को निजी कंपनियों को देने वाली है. इससे सरकार को 24 हजार 462 करोड़ रुपये की आय होगी और 3930 किलोमीटर प्रोडक्टर पाइपलाइन के मोनेटाइजेशन से सरकार को 22,504 करोड़ रुपये मिलेंगे. 

 

*एयरपोर्ट*

सरकार एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया के 25 हवाई अड्डों को निजी कंपनियों को देने जा रही है. इनमें से चेन्नई, भोपाल, वाराणसी और वड़ोदरा शामिल हैं. इससे सरकार को 20782 रुपये मिलने वाले हैं. जबकि बंदरगाहों के मोद्रिकरण से सरकार को 12828 करोड़ रुपये मिलेंगे. 

 

*स्टेडियम*

केंद्र सरकार दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम, बेंगलुरु और जीरकपुर स्थित स्टेडियम को भी निजी हाथों में सौंपने जा रही है. इससे सरकार को 11450 करोड़ रुपये मिलेंगे.  

 

*आवासीय कालोनियां*

सरकार दिल्ली की सात कॉलोनियां का रिडेवलपमेंट करेगी. इनमें से सरोजनी नगर, नरौजी नगर शामिल हैं. इसके अलावा दिल्ली के घिटोरनी में सरकार 240 एकड़ जमीन पर आवासीय और व्यावसायिक घरों का निर्माण करेगी. इससे सरकार को 15000 करोड़ रुपये की आय होगी. 

 

*सरकार कुछ भी बेच नहीं रही है*

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि लोगों को ये भ्रम नहीं होना चाहिए कि सरकार कुछ बेच रही है. इन सभी कंपनियों का स्वामित्व सरकार के हाथों में ही रहेगा और निजी कंपनियां कुछ साल बाद अनिवार्य रूप से इन संपत्तियों को सरकार को वापस सौंप देंगी. 

 

वित्त मंत्री ने देश को भरोसा देते हुए कहा कि इस योजना का मुख्य लक्ष्य मोनेटाइजेशन के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में मदद करना है. इस प्रक्रिया से देश के नागरिकों को सामाजिक-आर्थिक विकास होगा और उन्हें क्वालिटी लाइफ मिल सकेगी.    

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