पंचकूला 26 जुलाई- सत्य सत्यनारायण गुप्ता- उपायुक्त श्री विनय प्रताप सिंह ने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई तकनीकों को अपनाकर किसानों को पानी बचाने के लिए प्रोत्साहित करने की दृष्टि से राज्य सरकार ने कृषि और बागवानी फसलों में सूक्ष्म सिंचाई के प्रयोग के लिए ऑन-फार्म वाटर टैंक के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता की नीति लागू की है।
उन्होंने कहा कि इस नीति का मुख्य उद्देश्य जल स्रोत का एकीकरण, वितरण और इसका कुशल उपयोग, उपयुक्त जल बचत, उपकरणों के माध्यम से पानी का सर्वोत्तम उपयोग करना, फसलों की आवश्यकता के अनुसार जल प्रबंधन को बढ़ावा देना, सिंचाई के स्रोतों का विकास करना, सामुदायिक सिंचाई को प्रोत्साहित करना और किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है।
उपायुक्त ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने हाल ही में चंडीगढ़ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी उपायुक्तों के साथ बैठक कर संबंधित जिलों में सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की है। उन्होंने कहा कि जिला पंचकूला में लगभग 60,000 एकड़ कृषि योग्य भूमि है, जिसमें से 37,000 ट्यूबवेल आधारित है और शेष 23,000 एकड़ भूमि वर्षा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि पंचकूला जिले में भूमिगत जल स्तर अन्य जिलों की तुलना में बेहतर है, इसलिए सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के तहत 100 एकड़ भूमि ली गई है.
उपायुक्त ने नीति के अंतर्गत समुदायिक व व्यक्तिगत पानी के टैंकों के लिए पात्रता का उल्लेख करते हुए कहा कि भूमि मालिकों को केवल सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियों के उपयोग के लिए ऑन-फार्म पानी के टैंकों के निर्माण पर सहायता (सब्सिडी) प्रदान करने पर विचार किया जाएगा। चार या अधिक किसानों के समूह द्वारा निर्मित पानी के टैंक को सामुदायिक पानी के टैंक के रूप में माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि किसानों व किसानों के समूह किसी भी पंजीकृत या अनुमोदित वास्तुकार या कृषि विभाग के सहायक मृदा संरक्षण अधिकारी या सूक्ष्म सिंचाई और कमान क्षेत्र विकास प्राधिकरण (मिकाडा) या किसी भी सरकारी विभाग के कार्यकारी अभियंता व सार्वजनिक उपक्रमों के सिविल इंजीनियर के माध्यम से पानी के टैंक का डिजाइन अनुमान तैयार करने के लिए स्वतंत्र है। इसी प्रकार, वे अपने स्वयं के संसाधनों पर या किसी सरकारी विभाग/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के माध्यम से पानी के टैंकों के निर्माण करवा सकते है।
श्री विनय प्रताप सिंह ने कहा कि जहां सुनिश्चित जल स्रोत उपलब्ध है, वहां पानी के टैंक के निर्माण पर किसान व किसान समूह सहायता प्राप्त करने के पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि सिं्प्रकलर, मिनी सिं्प्रकलर और ड्रिप जैसे सूक्ष्म सिंचाई उपकरणों पर सहायता प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के दिशा-निर्देशों के साथ-साथ राज्य सरकार द्वारा समय समय पर संशोधित दिशा-निर्देशों को लागू करने के अनुसार दी जाएगी।
-वित्तीय सहायता
उपायुक्त ने कहा कि सामुदायिक पानी के टैंक के मामले में पानी के टैंक की निर्माण लागत का 85 प्रतिशत और व्यक्तिगत किसान के मामले में पानी के टैंक की निर्माण लागत का 70 प्रतिशत की दर से सहायता दी जायेगी। उन्होंने कहा कि न्यूनतम 3.34 लाख रुपये (टैंक का 5 एकड़ कमांड क्षेत्र) से अधिकतम 20 लाख रुपये (टैंक का 50 एकड़ कमांड क्षेत्र) की सहायता प्रदान की जायेगी। स्वीकृत अनुमान से अधिक व्यय किसान व किसानों के समूह द्वारा वहन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि सामुदायिक व व्यक्तिगत पानी के टैंको के निर्माण के लिये 3 चरणों में सहायता राशि जारी की जाएगी, जिसके अनुसार 20 प्रतिशत राशि मिट्टी के काम (टैंक की खुदाई) के पूरा होने के बाद, 40 प्रतिशत टैंक के निर्माण के पूरा होने के बाद और शेष 40 प्रतिशत सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली की स्थापना के बाद जारी की जाएगी।
उपायुक्त ने जिले के किसानों से इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि योजना का लाभ लेने के लिए किसान मिकाडा की वेबसाइट www.cadaharyana.nic.in पर आवेदन कर सकते है।