कुरुक्षेत्र : मिडिल स्कूल तक विद्यार्थियों को बिना योग्यता के ही अगली कक्षा में प्रमोट करना शिक्षा के ढांचे पर भारी पड़ रहा है। बच्चों को बोर्ड क्लास तक आधारभूत ज्ञान तक नहीं हो पाता। वे नियमों के सहारे हर साल अगली कक्षा में प्रमोट हो जाते हैं। पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को पास-फेल करने का अधिकार अध्यापक के पास होना चाहिए। विद्यार्थी में फेल होने का डर रहेगा तो वह बेहतर पढ़ाई करेगी। इसके साथ विद्यार्थियों को विज्ञान के साथ व्यवहारिक ज्ञान देने की भी जरूरत है।
ये बातें राजकीय माडल संस्कृति वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय थानेसर में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी-2020 पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में अध्यापकों के सुझावों में सामने आई। सेमिनार भारतीय शिक्षण मंडल एवं नीति आयोग के तत्वावधान में जिला शिक्षा विभाग की ओर से राजकीय विद्यालय थानेसर में कराया गया। इसका विषय राष्ट्रीय शिक्षा पॉलिसी-2020 में शिक्षकों का कार्यान्वयन रहा। मुख्यातिथि कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय कुलसचिव संजीव शर्मा रहे। इसकी अध्यक्षता डिप्टी डीईओ विनोद कौशिक ने की।
सेमिनार में शिक्षक गौतम दत्त ने एनईपी-2020 के बारे में उपस्थित प्रिसिपलों को जानकारी दी। सेमिनार में 115 प्रिसिपल शामिल रहे। इस मौके पर बीईओ बाबैन रणबीर सिंह रामपुरा, प्रिसिपल सचिद्र कोड़ा, दयासिंह स्वामी व वीरेंद्र वालिया मौजूद रहे। अध्यापकों को दी जाएं आइटी की ट्रेनिग
देश डिजिटल इंडिया की तरफ जा रहा है। इसके लिए ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया जा रहा है। इसको देखते हुए स्कूलों के शिक्षकों को आइटी की ट्रेनिग दी जानी चाहिए। डिजिटल इंडिया में अपनी व बच्चों की सहभागिता बढ़ा सकें। स्कूलों में बैग फ्री शिक्षा देने की बात कही जा रही है, लेकिन वर्तमान ढांचा के साथ बैग फ्री शिक्षा नहीं दी जा सकती है। इसमें बदलाव होना चाहिए। शिक्षक और अभिभावकों में हो अटैचमेंट
बच्चे के बेहतर भविष्य के लिए शिक्षकों और अभिभावकों में अटैचमेंट होनी चाहिए। घर पर बच्चे की जिम्मेदारी अभिभावक की होनी चाहिए। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में सेमेस्टर सिस्टम लागू नहीं होना चाहिए। सेमेस्टर सिस्टम में बच्चों के साथ शिक्षक को परीक्षाओं की चिता रहती है।