कोरोना वायरस को लेकर विश्व के प्रख्यात वैज्ञानिकों ने टेंशन में डालने वाला दावा किया है। विश्व के प्रख्यात महामारी विशेषज्ञों और वायरोलॉजिस्ट ने खुलासा किया है कि महज एक साल से कम वक्त में विश्व को फिर से कोरोना वायरस वैक्सीन की जरूरत होगी। और वैक्सीन की पहली जेनरेशन एक साल के अंदर ही इंसानी शरीर के लिए अप्रभावी हो जाएंगी। कोरोना वायरस वैक्सीन को लेकर पिपल्स वैक्सीन अलायंस ने सर्वे करवाया है। जिसमें अमेनेस्टी इंटरनेशनल, यूएनएआईडीएस और ऑक्सफाम जैसी संस्थाओं ने हिस्सा लिया है। ये सर्वे विश्व के 28 से ज्यादा देशों में किया गया है। जिसमें पाया गया है कि दो तिहाई से ज्यादा नतीजों में उत्तर मिले हैं कि इस्तेमाल होने वाली वैक्सीन की वैलिडिटी महज एक साल है। वहीं, एक तिहाई से ज्यादा जबाव में पाया गया कि इस्तेमाल की जानी वाली वैक्सीन का 9 महीने से कम वक्त बचा है। इस सर्वे में 28 देशों के 77 महामारी विशेषज्ञ वैज्ञानिक और वायरोलॉजिस्ट ने हिस्सा लिया था।इस सर्वे में पाया गया है कि विश्व के ज्यादातर देशों में वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी सुस्त है। जिसकी वजह से कोरोना वैक्सीन का नया वेरिएंट इस वैक्सीन को बायपास कर सकता है। यानि, जिन लोगों को वैक्सीन नहीं लगा है, उनको नया वेरिएंट शिकार बना सकता है और तबतक जिन लोगों को वैक्सीन लगा है, उनके अंदर में मौजूद वैक्सीन बेअसर हो जाएगी और कोरोना वायरस का कहर लगातार बना रहेगा। इस सर्वे में हिस्सा लेने वाले 88 प्रतिशत वैज्ञानिक बड़े संस्थानों के वैज्ञानिक हैं। जिनमें से जॉन हॉपकिन्स, येल, इम्पीरियल कॉलेज भी शामिल हैं।