एफआरएआई का पंचकुला में विरोध प्रदर्शन, सीओटीपीए कानून में प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने की अपील की
पंचकुला, 15 जनवरी :-- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआरएआई) की पंजाब एवं हरियाणा इकाई ने आज शुक्रवार को यहां सेक्टर 3 में विरोध प्रदर्शन किया पंजाब एवं हरियाणा इकाई ने आज विरोध प्रदर्शन किया और इन राज्यों में कई रोजमर्रा की चीजें बेचकर अपने परिवार को चलाने वाले करीब 6.5 लाख छोटे खुदरा दुकानदारों व उनके 30 लाख आश्रितों के हितों एवं उनकी आजीविका की रक्षा करने और उन्हें संभावित उत्पीडऩ से बचाने की अपील की।
एफआरएआई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने एवं सीओटीपीए कानून 2020 में प्रस्तावित संशोधनों को वापस लेने का आदेश देने की अपील की। इन नए संशोधनों से पूरे भारत में तंबाकू एवं अन्य संबंधित उत्पाद बेचने वाले छोटे खुदरा दुकानदारों की आजीविका पर दोहरा आघात लगेगा। एफआरएआई देशभर के चार करोड़ सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम दुकानदारों का प्रतिनिधि संगठन है। इसके सदस्य संगठनों के तौर पर उत्तर, दक्षिण, पूर्व एवं पश्चिम के कुल 34 रिटेल एसोसिएशन जुड़े हैं और रोजाना की जरूरत की चीजों जैसे बिस्कुट, सॉफ्ट ड्रिंक, मिनरल वाटर, सिगरेट, बीड़ी, पान आदि की बिक्री कर अपनी आजीविका चलाते हैं।
फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सदस्य श्री वरुण अरोड़ा ने कहा , एफआरएआई और देशभर से इसके सदस्य संगठन स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा सीओटीपीए विधेयक 2020 में प्रस्तावित अलोकतांत्रिक संशोधन से परेशान हैं, जिसमें खुली सिगरेट बेचने पर रोक लगाने की बात है। इसमें 21 साल से कम उम्र के लोगों को सिगरेट उत्पाद बेचने पर रोक और दुकान में विज्ञापन व प्रमोशन को नियंत्रित करने समेत कई प्रावधान भी हैं। इन सभी संशोधनों का उद्देश्य बड़े रिटेलर्स को कोई नुकसान पहुंचाए बिना छोटे खुदरा दुकानदारों को नष्ट कर देना ही जान पड़ता है।
अरोड़ा ने कहा, प्रस्तावित सीओटीपीए संशोधन को वापस लिया जाए क्योंकि ये संशोधन बहुत सख्त हैं। खुली सिगरेट बेचने जैसे कारोबार के पुराने तरीकों को संज्ञेय अपराध बनाने और छोटे-छोटे उल्लंघन के लिए 7 साल की कैद जैसे प्रावधान से लगता है कि छोटे व्यापारी जघन्य अपराधी हैं। जबरन वसूली या खतरनाक ड्राइविंग, जिससे जान भी जा सकती है, उसके लिए 2 साल के कारावास की सजा है, उसकी तुलना में यह प्रस्तावित सजा बहुत ही ज्यादा है। सजा का यह प्रावधान पान, बीड़ी और सिगरेट बेचने वालों को किसी पर तेजाब फेंकने वाले या लापरवाही से किसी की जान लेने वाले अपराधियों की श्रेणी में खड़ा कर देता है।
किसी शैक्षणिक संस्थान से 100 गज की दूरी में तंबाकू उत्पाद बेचने पर रोक बढ़ाकर 100 मीटर के प्रस्ताव का विरोध करते हुए फेडरेशन ऑफ रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के संयुक्त सचिव, गुलाब चंद खोड़ा ने इस कहा, हमारे सदस्य अपने ग्राहकों को उनकी जरूरत के मुताबिक विभिन्न उत्पाद बेचते हैं। हमारे सदस्यों द्वारा बेचे जाने वाले उत्पादों में सिगरेट और बीड़ी जैसे तंबाकू उत्पाद भी शामिल हैं। कानून के अनुसार, हम नाबालिगों को तम्बाकू उत्पाद नहीं बेचते हैं। भीड़भाड़ वाले और बड़ी आबादी वाले शहरों में इस तरह का प्रतिबंध अव्यावहारिक है। छोटे खुदरा विक्रेताओं के पास अपनी आजीविका का कोई साधन नहीं बचेगा और उन्हें अपनी दुकान वहां से हटानी पड़ेगी। इतना ही नहीं, अगर 100 मीटर के दायरे में कोई और शैक्षणिक संस्थान खुल गया तो उन्हें फिर अपनी दुकान हटाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।
छोटे खुदरा दुकानदार प्रस्तावित संशोधन के तहत लाइसेंसिंग में छूट का भी अनुरोध करते हैं। एक गरीब और अशिक्षित छोटा दुकानदार जो मुश्किल से एक दिन में दो वक्त के भोजन का प्रबंध कर पाता है, उसे लाइसेंस प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना होगा और इतना ही नहीं, हर साल इसे नवीनीकृत करने के लिए भी संघर्ष करना होगा।
एफआरएआई का मानना है कि विदेशी कंपनियों के लिए काम करने वाले कुछ गैर सरकारी संगठन छोटे दुकानदारों के खिलाफ अनुचित और लागू नहीं किए जा सकने वाले कानूनों को प्रभावी करने के लिए सरकार पर लगातार दबाव बना रहे हैं। ये नीतियां छोटे खुदरा विक्रेताओं के कारोबार की कीमत पर बड़ी विदेशी और ई-कॉमर्स कंपनियों की मदद कर रही हैं।