कृषि क़ानूनों से किसानों के साथ आम उपभोक्ता और ग़रीब परिवारों को भी होगा नुकसान- हुड्डा
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गुरुग्राम 13 जनवरी--- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि ये आंदोलन सिर्फ किसानों का नहीं बल्कि आम उपभोक्ता और ग़रीब परिवार का भी है। क्योंकि 3 नए क़ानूनों से सिर्फ किसानों को नहीं बल्कि हरेक उपभोक्ता और ग़रीब तबके को भी नुक़सान होगा। सरकार की तरफ से पूंजीपतियों को मिली जमाखोरी की छूट का फ़ायदा उठाते हुए अब वो लोग कालाबाज़ारी करेंगे। जब किसान की फसल मंडी में आएगी तो मार्किट में रेट गिरा दिए जाएंगे और जब मुनाफ़ाखोर सारा उत्पादन ख़रीद लेंगे तो उसे आम उपभोक्ता को महंगे रेट में बेचा जाएगा। इसी तरह अगर सरकारी ख़रीद बंद हो जाएगी तो सरकार बीपीएल परिवारों को सस्ता अनाज भी देना बंद कर देगी। इसीलिए हम लोग 3 कृषि क़ानून आने के बाद से लगातार इसका विरोध कर रहे हैं और किसानों की मांग का पूर्ण समर्थन करते हैं।
हुड्डा आज गुरुग्राम में पूर्व मंत्री सुखबीर कटारिया की माता जी की पुण्यतिथि के मौक़े पर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। इसके बाद उन्होंने पत्रकार वार्ता को भी संबोधित किया। इस मौक़े पर उन्होंने कहा कि 50 दिनों से प्रदेश का अन्नदाता आंदोलनरत है। वो दिल्ली बॉर्डर समेत पूरे प्रदेश में कड़कड़ाती ठंड और खुले आसमान के नीचे धरना दे रहा है। करीब 70 किसानों की शहादत हो चुकी है। लेकिन सरकार उनकी मांगे मानने की बजाए उन्हें तारीख़ों के फेर में उलझा रही है। सरकार को किसानों की हालत और हालात की गंभीरता को समझते हुए बिना देरी के आंदोलनकारियों की मांगें माननी चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने प्रदेश सरकार की तरफ से बड़ी तादाद में किसानों पर दर्ज़ किए गए मुक़दमे वापिस लेने की भी अपील की। सरकार को किसानों के प्रति द्वेष भावना या बदले की नीयत से कार्रवाई नहीं करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनभावनाओं और अहिंसक आंदोलनों को सत्ताबल से दबाया नहीं जा सकता। शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे किसानों पर बार-बार वाटर कैनन और आंसू गैसे के गोलों का इस्तेमाल करना पूरी तरह अलोकतांत्रिक है। सरकार को समझना चाहिए कि किसान टकराव नहीं समाधान चाहते हैं।