चंडीगढ़- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो- पिछले दो दिन पहले उत्तर भारत के इलाकों में हुई बूंदाबांदी से ठंड बढ़ गई है, लेकिन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान छह डिग्री न्यूनतम तापमान में भी खुले आसमान के नीचे डटे हुए हैं। इनमें कई किसान बुजुर्ग हैं तो महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। धरने पर डटे इन आंदोलनकारियों का कहना है कि उन्हें ठंड नहीं लगती, जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, वे यहां से नहीं जाएंगे। वहीं इन आंदोलनकारियों को सर्दी से बचाने के लिए लगातार प्रयास भी हो रहे हैं। किसानों के लिए अलाव से लेकर खाने-पीने की गर्म चीजों का प्रबंध किया जा रहा है। दिल्ली की सीमा पर बहादुरगढ़ में चल रहे किसान आंदोलन में किसानों के बच्चे भी हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं। पंजाब के बठिंडा जिले के गांव गिल कलां की निवासी छठी कक्षा की शगुनदीप गिल अपने पिता के साथ बहादुरगढ़ स्टेशन पर ट्रेन से किसान यूनियन का झंडा कंधे से लगाकर उतरी। उसने कहा कि मोदी के कानून मेरे पिता की खेती को उजाड़ देंगे। उसके मां-बाप सुबह से शाम तक खेत में मेहनत करते हैं। फिर भी फसल के सही दाम न मिलें तो कैसे घर चलेगा। संगरूर (पंजाब) से 9वीं कक्षा के छात्र हरमनदीप सिंह ऑनलाइन क्लास लगा रहे हैं। अपने साथ किताबें भी लाए हैं। वे रोजाना दो-तीन घंटे पढ़ते हैं और बाकी समय प्रदर्शन करते हैं। पंजाब के मोगा जिले के गांव चन्नूवाला से 14 वर्षीय नवनीत कौर, 12 वर्षीय सिमरनप्रीत कौर और नौ वर्षीय राजप्रीत सिंह अपने पिता कुलविंदर सिंह के साथ टीकरी बॉर्डर पहुंचे हैं। मोगा के ही गांव बिलासपुर निवासी 7वीं कक्षा के एक छात्र जसकरन सिंह (13) ने कहा कि जब तक तीन कानूनों को रद्द नहीं किया जाता, वे पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने कहा सरकार तारीख देकर किसानों के धैर्य की परीक्षा ले रही है, लेकिन हम नहीं झुकेंगे। आंदोलन स्थल पर एक लंगर में किसानों की मदद कर रहे सिरसा जिले के गांव साहुवाला से आए 9वीं कक्षा के छात्र 13 साल के हर्षदीप ने कहा कि हम यहां पर अपने हक लेने आए हैं। मोदी ने जो कृषि कानून बनाए है, हम उसे रद्द करवाकर यहां से जाएंगे। मैं और मेरे चाचा पांच तीन दिन से यहा हैं और पंजाब के किसानों का पूरे दिल से समर्थन कर रहे हैं। वहीं कुछ लड़कियां किसान आंदोलन के लिए पोस्टर बनाने की सेवा में जुटी हैं। दिल्ली के बार्डर पर जमे किसानों को समर्थन देने के लिए महिला अधिवक्ता बाइक से जीरकपुर से दिल्ली गई हैं। पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय की अधिवक्ता कुलवंत कौर संधू ने कहा कि सिंघु बार्डर पर ठंड में पुरुषों के साथ महिलाएं भी आंदोलन में बैठी हैं। यही कारण है कि उन्होंने दिल्ली बाइक से जाने का निर्णय लिया ताकि आंदोलनकारी किसानों की कठिनाइयों को अनुभव किया जा सके। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को सीधे किसानों की बात सुनकर उनकी समस्याओं का समाधान करना चाहिए।