चंडीगढ़- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो- चंडीगढ़ को साइकिल फ्रेंडली बनाने के लिए प्रशासन पिछले पांच साल में करीब 22 करोड़ रुपये खर्च कर चुका है, लेकिन हालात ज्यादा बदले नहीं हैं। शहर के वीआईपी सेक्टरों के ट्रैक ठीक हैं, लेकिन बाकी सेक्टरों में ट्रैक साइकिल चलाने लायक भी नहीं हैं। पेरीफेरी के इलाकों में अब तक साइकिल ट्रैक बने ही नहीं हैं। चंडीगढ़ में साइकिलिंग को बढ़ावा देने के लिए बाइक शेयरिंग प्रोजेक्ट भी शुरू हो चुका है लेकिन साइकिल ट्रैकों की हालत खस्ता है। जिन साइकिल ट्रैक का प्रशासन ने निर्माण कराया भी है, उनकी दोबारा सुध नहीं ली गई है। यही कारण है कि या तो ट्रैक पर घास उग आई है या फिर वह टूट गए हैं। इसके अलावा जो साइकिल ट्रैक सही भी है, उन पर वाहनों को पार्क किया जा रहा है। चंडीगढ़ में पिछले पांच साल में करीब 210 किलोमीटर साइकिल ट्रैक का निर्माण कराया गया है, जबकि कुछ इलाकों में ट्रैक बनाए जाने हैं। प्रशासन मौजूदा ट्रैक को ही संभाल नहीं पा रहा है और इनके डिजाइन में भी अनेक खामियां हैं। इस कारण लोगों को साइकिल चलाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर के सेक्टर-32, 33, 39, 40, 42, 43, 45, 46, 52, 53 आदि के साइकिल ट्रैकों की हालत ज्यादा खराब है। चंडीगढ़ प्रशासन इंडस्ट्रियल एरिया फेज-1 स्थित एसडीएम ऑफिस से लेकर हल्लोमाजरा चौक तक सड़क को चौड़ा करने का काम कर रहा है। इसके साथ ही वहां पर साइकिल ट्रैक बनाए जाएंगे और उन पर लाइटें भी लगाई जाएंगी। इसके अलावा धनास की मार्बल मार्केट से होकर मुल्लांपुर जाने वाली सड़क पर भी साइकिल ट्रैक बनाया जाएगा। इन दोनों कामों के लिए टेंडर हो चुका है और कंपनी को काम भी सौंपा जा चुका है। गौरतलब है कि इन दोनों इलाकों में सबसे ज्यादा साइकिल चलाने वाले लोग रहते हैं। प्रशासन के इंजीनियरिंग विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर सीबी ओझा ने बताया कि शहर के सभी साइकिल ट्रैक पर लाइटें लगाई जाएंगी। अभी जनमार्ग, उद्यान पथ, विद्या पथ, हिमालय मार्ग, चंडी पथ पर मौजूद साइकिल ट्रैक पर लाइटें लगाने का काम चल रहा है। सेक्टर-41/42 के साइकिल ट्रैक पर लगी लाइटें जलने भी लगी हैं। अर्बन ट्रांसपोर्ट पॉलिसी के तहत नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए ही साइकिल ट्रैक की शुरुआत की गई थी। आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने वर्ल्ड बैंक के साथ मिलकर एक प्रोजेक्ट पर काम किया था। इसमें चंडीगढ़ के कई अधिकारी ट्रेनिंग के लिए गए थे और उन्हें कई जगहों का दौरा कराया गया था। अधिकारियों को नॉन-मोटराइज्ड ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए काम करने की सलाह दी गई थी। सीबी ओझा ने बताया कि शहर के कुछ साइकिल ट्रैक के रखरखाव का जिम्मा नगर निगम और कुछ का प्रशासन के पास है। नगर निगम के ट्रैक की हालत ज्यादा खराब है। इसलिए प्रशासन ने फैसला लिया है कि अब वह ही नगर निगम के अधीन आने वाले साइकिल ट्रैक को भी रिपेयर करेगा। यूटी प्रशासन ने नगर निगम के अधीन आते साइकिल ट्रैक को ठीक कराने के लिए उन्हें उत्तरी और दक्षिणी जोन में बांटा है। प्रशासन ने इन इलाकों के सबसे खस्ताखाल साइकिल ट्रैक को ठीक कराने के लिए अनुमानित लागत तैयार कर काम भी सौंप दिया है। गौरतलब है कि फंड कमी होने की वजह से नगर निगम न तो सड़कें और न ही साइकिल ट्रैक की रिपेयर करवा पा रहा है।