चंडीगढ़- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- जमीन नहीं होने के बावजूद सिर्फ छतों के सहारे चंडीगढ़ सोलर एनर्जी के क्षेत्र में खासा नाम कमा चुका है। मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूअल एनर्जी (एमएनआरई) ने भी इसके लिए चंडीगढ़ प्रशासन की खूब तारीफ की। अब शहर का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट चंडीगढ़ में लगेगा। 12 मेगावाट का यह सोलर प्रोजेक्ट सेक्टर-39 वाटर वर्कर्स के वाटर टैंक पर लगेगा। दो साल में प्रोजेक्ट पूरा होगा। वाटर वर्कर्स में टैंक का आकार बड़ा कर इसकी स्टोरेज कैपेसिटी बढ़ाई जा रही है। हाल ही में प्रशासक वीपी सिंह बदनौर ने वर्चुअली इस प्रोजेक्ट का शिलान्यास किया था। जिसमें टैंक को चौड़ा करने के साथ ही इसकी हाइट भी बढ़ेगी। जिसके बाद शहर की एक दिन की जरूरत का पानी स्टोर किया जा सकेगा। 39 करोड़ की लागत से यह प्रोजेक्ट पूरा होगा। दो साल में प्रोजेक्ट पूरा होते ही सोलर प्रोजेक्ट भी साथ ही इंस्टॉल किया जाएगा। इसके लिए नगर निगम ने चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) को एनओसी दे दी है। क्रेस्ट इस प्रोजेक्ट को नगर निगम के सहयोग से ही इंस्टाल करेगी। चंडीगढ़ में अभी तक पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज की बिल्डिंग पर लगा एक मेगावाट का प्राेजेक्ट सबसे बड़ा है। इसके अलावा सभी छोटे प्रोजेक्ट हैं। लेकिन अब वाटर वर्कस पर सीधे 12 मेगावाट का प्रोजेक्ट लगेगा। जो केंद्र सरकार से मिले लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद करेगा। एमएनआरई ने 2022 तक 69 मेगावाट सोलर एनर्जी जेनरेट करने का लक्ष्य यूटी प्रशासन को दिया है। अभी तक जितने प्रोजेक्ट लगे हैं उनसे करीब 37 मेगावाट बिजली जेनरेट हो रही है। वाटर वक्र्स का प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद 50 मेगावाट तक यह पहुंच जाएगा। इसके अलावा भी कई प्रोजेक्ट तब तक पूरे होंगे। जिससे लक्ष्य हासिल करना आसान हो जाएगा। सेक्टर-42 की न्यू लेक पार्किंग में सोलर प्रोजेक्ट लगाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट करीब 800 किलोवाट का होगा। इसकी खासियत यह है कि इससे जेनरेट होने वाली सोलर एनर्जी इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग के लिए होगी। प्रोजेक्ट के साथ ही इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन सेटअप किए जाएंगे। जिससे पार्किंग में ऐसे वाहन चार्ज हो सकें। इन वाहनों को बढ़ावा देने के लिए ऐसा किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट को इंस्टॉल करने का काम चल रहा है। इसके बाद सुखना लेक की पार्किंग और फिर शहर की दूसरी मार्केट में भी ऐसे प्रोजेक्ट लगाए जाएंगे। जिससे जेनरेट होने वाली एनर्जी को वाहनों की चार्जिंग के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।