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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने किया भारत बंद का समर्थन, जनता से की अपील कहा- पूरी तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित रहे भारत बंद हर किसान का अधिकार है फसलों की एमएसपी, किसानों को एमएसपी देना है हर सरकार की ज़िम्मेदारी- हुड्डा
December 07, 2020 06:48 PM
जींद 7 दिसंबर-- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने 8 तारीख़ के भारत बंद का समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने जनता से अपील की है कि ‘भारत बंद’ किसान आंदोलन की तरह शांतिपूर्ण और अनुशासित होना चाहिए। हुड्डा ने कहा कि पूरा देश और तमाम संगठन आज किसानों के साथ हैं। किसानों की मांगे पूरी तरह जायज़ हैं और हम किसानों के साथ मजबूती से खड़े हैं। सरकार को बिना देरी लगाए उनकी तमाम मांगे माननी चाहिए। फसलों की एमएसपी हर किसान का अधिकार है और ये सुनिश्चित करना हर सरकार की ज़िम्मेदारी है।
जींद में पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि उन्होंने विधानसभा का आपातकालीन सत्र बुलाने की मांग को लेकर राज्यपाल को पत्र लिखा है। कांग्रेस सदन में अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएगी क्योंकि ये सरकार जनता और विधायकों का भरोसा पूरी तरह खो चुकी है। प्रदेश में राजनीतिक अस्थिरता और सरकार के प्रति अविश्वास का माहौल है। इन असाधारण परिस्थितियों में माननीय राज्यपाल को अपनी संवैधानिक ज़िम्मेदारियों का निर्वहन करते हुए विशेष सत्र बुलाना चाहिए।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्रदेश का अन्नदाता अपनी मांगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन कर रहा है। लेकिन आज भी कई जजपाई और निर्दलीय विधायक किसानों के साथ खड़े होने की बजाए कुर्सी से चिपके हुए हैं। कई निर्दलीय और जेजेपी विधायक किसानों के समर्थन की बात तो कर रहे हैं, लेकिन सरकार को भी अपना समर्थन जारी रखे हुए हैं। ये अविश्वास प्रस्ताव ऐसी दोगली नीति वाले विधायकों की पोल खोलने का भी काम करेगा। क्योंकि अब विधायकों को सरकार और किसान में से एक को चुनना होगा।
नेता प्रतिपक्ष ने सरकार को नसीहत दी कि उसे अपना ढुलमुल रवैया छोड़ना होगा। सरकार किसानों की मांग मानने में जितनी देरी लगाएगी, आंदोलन उतना बड़ा होता जाएगा। क्योंकि ये आंदोलन सिर्फ हरियाणा और पंजाब तक सीमित नहीं है। आंदोलन में यूपी, राजस्थान, मध्य प्रदेश समेत सभी राज्यों के किसान शामिल हो रहे हैं। बड़ी तादाद में किसान दिल्ली बॉर्डर पर शांतिपूर्ण धरना दे रहे हैं और उससे भी कहीं ज्यादा बड़ी तादाद में अपने-अपने इलाकों में किसान 3 नए कृषि क़ानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।