पंचकूला, 28 नवम्बर।-- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- रीढ़ की हड्डी की समस्याएं तथा बिना चीर फाड़ के आप्रेशन की तकनीकों संबंधी जागरूकता पैदा करने के लिए न्यूरो सर्जरी विभाग के एसोसिएट डायरेक्टर डा. अनिल ढींगरा तथा कंसलटेंट डा. राजीव गर्ग पारस अस्पताल पंचकूला के डाक्टरों की टीम ने बताया। डा. अनिल ढींगरा ने बातचीत करते हुए 20-30 वर्ष की उम्र वर्ग का देश का हर पांचवा नौजवान रीढ़ की हड्डी की समस्या से पीड़ित हैं। यह समस्या पहले बुजुर्गों में देखी जाती थी। उन्होंने बताया कि बीते समय दौरान नौजवानों में रीढ़ की हड्डी की समस्याओं में 60 प्रतिशत इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि नौजवानों की जीवन शैली में बदलाव, अधिक वजन, विटामिन डी, बी-12, कैल्शियम तथा प्रोटीन की कमी नौजवानों में इस समस्या का मुख्य कारण है।
डा. ढींगरा ने बताया कि लंबा समय लगातार एक ही पोजीशन में बैठने तथा गलत पोजीशन में बैठने से भी रीढ़ की हड्डी पर दबाव पड़ता है, जिससे पीठ तथा गर्दन में बहुत जयादा दर्द होता है। उन्होंने बताया कि रीढ़ की हड्डी की समस्याएं बढनÞे से भारत में रीढ़ की सर्जरी की नवीनतम तकनीकें इजाद हुई हैं। डा. ढींगरा ने बताया कि किसी समय आप्रेशन से तीन महीनों के लिए बिस्तर पर आराम (बैड रेस्ट) के लिए कहा जाता था, जो अब प्रगती करके एक दिन के आराम तक पहुंच गई है। उन्होंने बताया कि ऐसी की-होल (छोटा सुराख) सर्जरी तकनीक से ही संभव हुआ है। उन्होंने कहा कि जो मरीज दवाईयों या फिजियोथैरेपी आदि से ठीक नहीं होते तथा जिनके हाथों-पैरों में कमजोरी तथा सुन्नापन महसूस होता है, उनके लिए ऐसी सर्जरी की सिफारिश की जाती है, जिसमें चीर-फाड़ नहीं करनी पड़ती।