चंडीगढ़-- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो--कांग्रेस पार्षदों ने राज्यपाल वीपी सिंह बदनोर को एक पत्र लिखकर चंडीगढ़ नगर निगम की व्यथा बताई है। दुखी ह्दय से लिखी एक चिट्ठी में पार्षदों ने कहा है कि नगर निगम अनाथ हो गया है और इसे संभालने वाला कोई नहीं रहा। इसलिए शहर के प्रशासक होने के चलते आप इसमें दखल अंदाजी करके इसे संभाल लें।
पार्षदों ने लिखा है कि जब हम 2016 मे नगर निगम चंडीगढ़ के चुनाव लड़े और चंडीगढ़ की जनता ने भाजपा को बहुमत से जिताया। कुछ दिन तक हम कांग्रेस के लोग भी अपनी हार भूल गये और लगा कि चंडीगढ़ मे सांसद भाजपा की,दिल्ली में सरकार भाजपा की और ऐेसे में शहरवासियों को कोई दिक्कत नहीं आएगी।लेकिन दुख की बात ये है कि नगर निगम चलाने में भाजपा बुरी तरह से विफल रही है और अफसरों पर इसका दोष डाल रही है। जबकि सच्चाई ये है कि भाजपा के पार्षदों ने नगर निगम के अफसरों पर दबाव डाल कर सभी टैक्स पास करवाए थे। पार्षदों देविंदर सिंह बबला, गुरबक्श रावत, शीला फूल सिंह,रविंदर कौर गुजराल और सतीश कैंथ ने चिट्ठी में आगे लिखा है कि भाजपा पार्षदों ने तो नगर निगम के सामान को 60 लाख सस्ते में बेच दिया था। कांग्रेस के पार्षदों को जब इसके बारे में पता चला तो उसे रुकवाकर दोबारा बेचा गया और फिर इसे 60 लाख रुपए महंगा बेचकर नगर निगम को मुनाफा करवाया। वरना भाजपा ने तो नगर निगम को कंगाल ही कर दिया था। भाजपा पार्षदों के इस रवैये से शहरवासी सदमे में हैं। 500 करोड़ का फिक्स डिपॉजिट कहां गया आज तक पता नही चला। शहरवासियों पर हर टैक्स लगा दिया गया।
चिट्ठी के माध्यम से पार्षदों ने मेयर राजबाला मलिक को भी घेरते हुए उनसे इस्तीफा मांग लिया। कहा- सात महीने में शहर की डिवेलपमेंट का एक भी अजेंडा नहीं लाया गया, बल्कि लोगों पर टैक्स कर बोझ डाल दिया। मेयर को नैतिकता तौर पर इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि भाजपा पार्षदों ने अपनी ही मेयर की मीटिंग का बहिष्कार कर दिया। आगे कहा- पार्किंग के रेट 5 रुपये से बढ़ाकर 250 रुपए तक किए गए जब कि एग्रीमेंट मे लिखा है कि जब तक स्मार्ट फीचर ठेकेदार नहीं लगाता तो वो रेट नही बढ़ा सकता। वहीं प्रॉपर्टी टैक्स को 50 गुना बढ़ा दिया। शहरवासियों पर काउ सैस टैक्स थोपा गया, कम्युनिटी सेंटर की बुकिंग रेट डबल और सीवरेज टैक्स के रेट 9 गुना बढ़ा दिए। शिनाख्त 22 हजार वेंडर्स की हुई। पैसे सभी से लिए पर वेंडर महज 9 हजार ही रह गए। कांग्रेस इसकी सीबीआई जांच की मांग कर रही है। पानी के रेट 600 गुना बढ़ा दिए। जब तक शहर में 24 घंटे पानी नहीं मिलता,पुराने रेट ही लागू हों। गांवों का भी बुरा हाल है। एक भी पैसा गावों पर नही लगा और भाजपा गावों के ऊपर भी टैक्स पर टैक्स थोप रही है। आलम ये है कि नगर निगम कंगाली की हालत में पहुंच चुका है। काम तो बहुत दूर की बात यहां कर्मचारियों को तनख्वाह देने के पैसे नहीं हैं। विनती है कि नगर निगम को भंग कर इसे प्रशासन के हवाले कर दो।