चंडीगढ़-- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो--
केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध अब पंजाब के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। रेलवे ट्रैक पर किसानों के जमे होने के कारण सूबे में मालगाड़ियों से कोयले की आमद नहीं हो पा रही है। कोयल की कमी के कारण सूबे के पांच थर्मल पावर प्लांट में बिजली उत्पादन पूरी तरह से ठप हो गया है। यदि जल्द ही हालातों पर काबू नहीं पाया तो पूरे पंजाब में ब्लैक आउट के आसार बन जाएंगे। कोयले का भंडारण नहीं होने से राज्य के सरकारी रोपड़ व लहरा मोहब्बत थर्मल प्लांट के अलावा निजी क्षेत्र के राजपुरा, तलवंडी साबो और गोइंदवाल साहिब के थर्मल पावर प्लांटों की सभी यूनिटों में बिजली उत्पादन बंद हो गया है। इधर थर्मल पावर प्लांट बंद हो जाने के बाद विद्युत आपूर्ति के लिए राज्य की निर्भरता हाइड्रो पावर प्रोजेक्टों और नेशनल ग्रिड पर बढ़ गई है। निजी पावर प्लांटों का भी यही हाल है। जानकारी के अनुसार निजी क्षेत्र के राजपुरा और तलवंडी साबो थर्मल प्रोजेक्टों में तो कोयला स्टाक पूरी तरह से समाप्त हो चुका है, जबकि गोइंदवाल साहिब प्लांट में फिलहाल ढाई दिन, रोपड़ प्लांट में करीब छह, लहरा मोहब्बत पावर प्लांट में चार दिन के कोयले का स्टाक है। जानकारी अनुसार सूबे में ब्लैकआउट न हो इसके लिए राज्य में बिजली की मांग को पूरा करने के लिए पावरकॉम नेशनल ग्रिड से प्रतिदिन 60 करोड़ रुपये की बिजली खरीद रहा है। राज्य में मांग को देखते हुए पावरकॉम को प्रतिदिन लगभग एक हजार मेगावाट बिजली की खरीद करनी पड़ रही है। किसानों के रेलवे ट्रैक पर जमे होने के कारण रेलवे अभी मालगाड़ियों के संचालन पर कोई विचार नहीं कर रहा है। गुरुवार को उत्तर रेलवे के प्रवक्ता दीपक कुमार ने स्पष्ट कर दिया था कि रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा को देखते हुए यह ट्रेनों के संचालन पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। अगले आदेश तक ट्रेनों का संचालन पूरी तरह से बंद रहेगा।