पचकुलां 20 सितंबर- अग्रजन पत्रिका ब्यूरो-- हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री चंद्रमोहन ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि सुधार से सम्बन्धित दो अध्यादेशों को राज्य सभा में जिस जल्दबाजी में पास करके कानून बनाया इससे देश के इतिहास में एक काला अध्याय जुड़ गया है। इसकी कीमत आने वाले चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को चुकानी पड़ेगी। यह बिल देश के किसानों के हितों के लिए लिए आत्मघाती सिद्ध होगा और इन के कानून बनने के साथ ही देश के किसानों के लिए काला अध्याय शुरू हो गया है। लोक सभा पहले ही यह बिल पास हो चुका है और राज्य सभा में यह किसान विरोधी बिल हंगामे के बीच बिना मतदान के पास करवा लिए गए। इससे भाजपा का किसान विरोधी दोहरा चरित्र सामने आ गया है। इन बिलों के पास होने से किसानों का निवाला छीन जायेगा और उनकी आत्महत्याओ के मामलों में बेहतहासा बढ़ोतरी की आशंका बढ़ जाएगी। श्री चन्द्र मोहन ने कहा कि देश में आजादी के बाद ऐसी पहली सरकार आई है, जो गरीबों, मजदूरों और किसानों की विरोधी होने के साथ-साथ कारपोरेट घरानों के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित है।इन अध्यादेशों के खिलाफ सारे देश में किसानों का गुस्सा सातवें आसमान पर है। भाजपा सरकार अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए देश के किसानों को बर्बाद करने पर तुली हुई है। किसानों के जो छल कपट किया जा रहा है। उसके परिणाम जिस समय सामने आएगें, तब तक धरती पर इन पूंजी पतियों के चंगुल में फंस चुका होगा। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह किसानों को गुमराह करके अपनी कुर्सी बचाने में लगे हुए हैं। किसानों की वेदना और पीड़ा का एहसास उन्हें नहीं है। मैं पूछता हूं कि मुख्यमंत्री ने इन कृषि अध्यादेशों को लागू करने की सिफारिश करने से पहले अपनी आत्मा की आवाज को सुन लेना चाहिए और अगर उनमें हिम्मत और साहस है तो किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए और उनको साहूकारों के चंगुल से आजाद करवाने के लिए हरियाणा विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर इन अध्यादेशों के खिलाफ प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा जाए। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि अगर केन्द्र सरकार और मुख्यमंत्री को किसानों की इतनी चिंता है तो फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की परम्परा को यथावत लागू रखा जाए। न्यूनतम समर्थन मूल्य समाप्त होने से किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिलेगा और वे शोषण का शिकार होंगे उनको कौन बचाएगा ,क्या इसकी गारंटी मुख्यमंत्री दे सकते हैं।किसानों ने मुझे बताया कि हरियाणा प्रदेश में पहली बार ऐसी सरकार आई है जिसको किसानों और श्रमिकों और गरीबों के प्रति कोई सहानुभूति नहीं है। केवल सहानूभूति है तो इनको बर्बाद करने में , जिस प्रकार से मजदूरों को सड़कों और पटरियों पर मरते देखा है। लेकिन केन्द्र सरकार कितनी असंवेदनशील है कि लोकसभा में ज़बाब में कहा कि श्रमिकों के मरने का कोई रिकॉर्ड उनके पास नहीं है। जबकि सारे देश ने इन श्रर्मिकों की विवशता और लाचारी की दर्द भरी दास्तां को देखा है।
उन्होंने गेंद व्यक्त किया कि देश के किसानों को गुलामी की जंजीरों में जकड़ने का दुस्साहस प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने किया है। इसका बदला किसानआने वाले समय में वोट की चोट से लेंगे। कांग्रेस पार्टी केंद्र सरकार के लोकतंत्र की हत्या के विरोध में किसानों के साथ खड़ी हुई है और इस दमन और अत्याचार की कार्रवाई का विरोध करती रहेगी। इस के लिए जो भी कीमत चुकानी पड़े कांग्रेस पार्टी उसके लिए सदैव तैयार है। हम धक्केशाही बर्दास्त नहीं करेंगे धरना स्थल पर किसान यूनियन के जिलाध्यक्ष नरेंद्र सिंह नया गांव, बहादुर सिंह ककराली, नरेश रावल,सन्त राम बतौड़, सुरेंद्र सिंह ठरवा, अमन भरैली, गुरजीत भरैली, तेग राणा नटवाल, पूर्व सरपंच महेंद्र सिंह बहबलपुर, रणदीप बरवाला, महेंद्र सिंह बरवाला ,देविंदर , सहित सैकड़ों किसान धरना स्थल पर मौजूद रहे।