*चिंतनशाला:*
राजस्थान में सत्ता को लेकर जो कुछ राजनैतिक ड्रामा चल रहा है, वह हर उस व्यक्ति के लिए चिंता का विषय हो सकता है, जो राष्ट्र का हित चाहता है।
राजनीति में तेजी से आ रही गिरावट वास्तव मेँ राष्ट्रवादी नागरिकों के लिए गम्भीर विषय है। कितना बड़ा बदलाव आया है राजनीति में? शायद शर्मनाक शब्द यहां अर्थहीन हो जाता है। भिवानी के विधायक थे श्री राम कुमार जी बिढाट। सिद्धांतवादी और राष्ट्रवादी। उन्होंने 1952 और 1957 का चुनाव कांग्रेस की टिकट से लड़ा था और विजयी रहे थे। कांग्रेस बिढाट जी को 1962 का चुनाव भी लड़वाना चाहती थी। जब पार्टी ने उन पर दबाव बनाया तो उन्होंने पार्टी को लिख कर दे दिया था कि अब वें चुनाव नहीं लड़ना चाहते। उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। राजनीति में नए लोगों को मौका मिलना चाहिए। इसके बाद कांग्रेस ने श्री सागर राम गुप्ता को अपना प्रत्याशी बनाया। बिढाट साहब ने उनकी खुली स्पोर्ट की और वे विजयी रहे। लेकिन आज की राजनीति में नेता अपने वोटर, प्रदेश और राष्ट्र के प्रति इमानदार और वफादार नहीं रहे। राष्ट्र हित गौण हो गया। कुर्सी पाने के लिए आज का नेता कुछ भी कर सकता है, नहीं, कर रहा है। मेरा मानना है, यह खेल तब तक चलेगा जब तक वोटर जागरूक नहीं हो जाता। आओ, हम समान विचारधारा के लोग मिल कर दुआ करें कि अपने देश का वोटर इतना जागरूक हो जाए कि वो राष्ट्रहित को समझ जाए।
@ईश्वर धामु