अम्बाला छावनी :- अग्रजन पत्रिका सत्यनारायण गुप्ता- हरियाणा डैमोक्रेटिक फ्रंट की नेत्री चित्रा सरवारा ने अम्बाला छावनी में अंग्रेजों के जमाने की बी.डी फ्लोर मिल पर नगर परिषद की ओर से की गई सीलिंग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि राजनैतिक द्वेष के कारण पिक एंड चूज नीति अपनाकर विरोधियों के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि उपायुक्त अम्बाला ने 8 जुलाई को आदेश पारित किया कि 5 दिन में बनारसी दास मिल का कब्जा लिया जाए जबकि प्रशासन सैंकड़ों पुलिस कर्मियों की फ़ौज लेकर आदेश प्राप्त करते ही सीधे मौके पर पहुंच गया। यहां तक कि मौजूद पक्षो को आदेश की प्रतिलिपि तक नही दी गयी जो कि काफी तकरार के पश्चात सिर्फ दिखाई गई। प्रश्न यह उठना स्वभाविक है कि इतनी फ़ोर्स व सरकारी अमला क्या पहले से ही तैयार था ? उन्हें मालूम था कि ऐसा आदेश उपायुक्त अम्बाला देने वाले हैं ? स्पष्ट है कि निर्देश कहीं और के थे, उपायुक्त अम्बाला तो पूरी स्क्रिप्ट में एक कड़ी बने। प्रशासन जिन नियमों के उल्लंघन का हवाला देकर इस कार्रवाई को उचित ठहरा रहा है उन्हीं नियमों का उल्लंघन अम्बाला छावनी में अनेक स्थानों पर हो रखा है क्योंकि पूरा अम्बाला छावनी क्षेत्र ही लीज पर है और इसमे बी 3 टाइप की व्यवसायिक भूमि बहुत अधिक है। इन्हीं नियमों को देखा जाए तो छावनी के अनेक संस्थानों पर भी कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए। लेकिन ऐसा न हो पाना ही प्रदेश सरकार और नगर परिषद की ईमानदारी पर संदेह उत्पन्न कर रहा है।