जींद।-- हरियाणा में पिछले कुछ समय से मौसम का मिजाज गड़बड़ाया हुआ है। पिछले एक दशक से वर्षा औसत से कम हो रही हैं, भूमि तप रही है। कभी सावन में बदरा नहीं बरसते हैं तो कभी बिन सावन के भी खूब बरसात होती है। आलम यह है कि 2012 से लेकर 2019 तक लगातार 8 वर्षों से हरियाणा देशभर में सबसे कम बरसात का रिकार्ड बना रहा है। हालांकि इस बार हरियाणा समेत पूरे उत्तर भारत में मानसून के अच्छे संकेत हैं जो कम वर्षा का दशकों का रिकार्ड टूट सकता है। ऐसा इसलिए भी माना जा रहा है कि इस बार प्री-मानसून में भी औसत से अधिक बरसात हुई है। वहीं हरियाणा में जुलाई माह के पहले रविवार की शुरूआत तुफानी बारिश के साथ हुई। मौसम विभाग की मानें तो हरियाणा में इस मानसून में औसत से अधिक बरसात हो सकती है और पिछले कुछ वर्षों से चला आ रहा मौसम का रूखा मिजाज बदल सकता है। मौसम विभाग की मानें हरियाणा में हर वर्ष 554.7 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए, लेकिन 2012 के बाद अर्थात पिछले 8 वर्षों से प्रदेश में बरसात का आंकड़ा 452 एमएम को पार नहीं कर पाया है। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार हरियाणा में सर्द मौसम में 32.4, प्री-मानसून सीजन में 33.6, मानसून सीजन में 459.9 तथा पोस्ट मानसून सीजन में 28.9 मिलीमीटर बरसात होनी चाहिए लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। पिछले करीब एक दशक से बदरा रूठे हुए हैं। चिंताजनक पहलू यह है कि पिछले करीब 8 वर्षों से हरियाणा ही एक ऐसा राज्य है,जहां देशभर में सबसे कम बरसात का आंकड़ा दर्ज किया जा रहा है। पर इस बार मानसून के अच्छे संकेत हैं। मौसम विभाग के अनुसार हरियाणा में जुलाई माह के आगामी दिनों में लगभर हर रोज बारिश होने की संभावना है। भारतीय मौसम विभाग के उपनिदेशक आनंद शर्मा भी बता चुके थे कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली समेत उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में मानसून आ सकता है।
कब-कितनी और कितने प्रतिशत कम हुई बरसात
वर्ष कितनी बारिश कितने प्रतिशत कम
2012 307 एमएम 45 प्रतिशत कम
2013 452 एमएम 19 प्रतिशत कम
2014 301 एमएम 46 प्रतिशत कम
2015 437.8 एमएम 23 प्रतिशत कम
2016 392.9 एमएम 29 प्रतिशत कम
2017 341.9 एमएम 38 प्रतिशत कम
2018 401 एमएम 28 प्रतिशत कम
2019 255 एमएम 54 प्रतिशत कम
प्री मानसून में हुई है अधिक बरसात
मौसम विभाग के अनुसार प्रदेश में इस बार मार्च माह में 70 जबकि अप्रैल माह में 100 एमएम बरसात हो चुकी है जो सामान्य से काफी अधिक है। ऐसे में माना जा रहा है कि मानसून में भारी बारिश होगी। इस बार मानसून की अवधि 84 की बजाय 89 दिन का होगा। प्रदेश में इस बार 11 लाख हैक्टेयर में धान रोपाई किए जाने की संभावना है।
घटते वन क्षेत्र ने भी बिगाड़ा मौसम का मिजाज
मिनिस्टृ ऑफ स्टेटिक्स एंड प्रोग्राम इंपलीमेंटेशन की ओर से जारी एन्वायरमेंट स्टेटिक 2018 की एक रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा में कुल भौगोलिक क्षेत्र 44212 वर्ग किलोमीटर में से महज 1559 वर्ग किलोमीटर ही वनाच्छादित क्षेत्र है। यह औसत से बहुत कम है। ऐसे में यहां मौसम का मिजाज बिगड़ा-बिगड़ा रहता है। यही वजह है कि पिछले दो दशक में उत्तरी भारत के राज्यों में गर्मी का पीरियड बढ़ता जा रहा है और सर्दी का पीरियड सिकुड़ रहा है।