पंचकूला/ चंडीगढ़, 6 अप्रैल। अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता-- भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने कहा कि वर्ष 2019-20 की रबी फसलों की सरकारी खरीद को लेकर प्रदेश के लाखों किसानों के मन में संशय बना हुआ है। किसान इस बात को जानने के लिए बेताब है कि आखिरकार इस बार खासतौर पर गेंहू व सरसों की खरीद करने की प्रदेश सरकार किस प्रकार की तैयारी कर रही है। हर दिन खरीद को लेकर सरकार की ओर से आ रहे भिन्न भिन्न ब्यानों के चलते किसान पशोपेश में है। उन्हें फिलहाल इस बारे में किसी प्रकार का रास्ता भी नही सूझ रहा है। इसके अलावा किसान फसल को स्टॉक करने की स्थिति में नही है। इसके साथ साथ खेतीहर मजदूरों की कमी भी खल रही है। हांलाकि सरकार ने इस वर्ष के चालू खरीद सीजन के लिए सरसों की खरीद 15 अप्रैल व गेंहू खरीद के लिए 20 अप्रैल की तारीख तो तय कर दी है। परन्तु खरीद कब, कैसे और कहां होगी। इस पर अभी सरकार मौन साधे हुए है। मान ने कहा कि यूनियन का मुख्य पदाधिकारी होंने के नाते मुझे हररोज प्रदेश भर के किसान रबी फसल की सरकारी खरीद होंने के बारे जानकारी हासिल कर रहे है। फिलहाल सरकार इस बारे में स्थिति स्पष्ट नही कर रही है। किसान नेता रतनमान ने कहा कि प्रदेश के अध्यापकों सहित अन्य सरकारी विभागों के अधिकारियों के माध्यम से गेंहू सरसों की खरीद सौंपने वाले सरकारी ब्यान से किसान सकते में है। लगता है कि इस सब के बावजूद अभी भी सरकार खुली व स्पष्ट खरीद नीति बताने को तैयार दिखाई नही दे रही है। प्रदेशाध्यक्ष रतनमान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से खरीद के मामले पर जल्द नीति का खुलाशा करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब खरीद से संबंबित अधिकारियों से बात की जाती है तो वे इस बारे कुछ भी बताने को तैयार नही है। उन्होंने कहा कि इस बार आसमानी संकट से जुझ रहे किसानों को परेशानी में न ड़ाला जाए और जल्द से जल्द से खरीद पॉलिसी जारी की जाए। ताकि उसी मुताबिक किसान अपनी तैयारियां कर सके। किसान नेता मान ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल से मांग करते हुए कहा कि इस बार के हालातों को देखते हुए पूर्व की भांति अनाज मंडियों में खरीद शुरू करवाई जाए। उन्होंने कहा कि खरीद के मसले को लेकर किसान मानसिक दबाव में है। अगर खरीद के मामले में किसी प्रकार की देरी व कौताही हुई तो प्रदेश में किसानों की महापंचायत बुलाने में किसी प्रकार की देरी नही की जाएगी। चाहे इसके लिए किसी प्रकार के अंजाम ही क्यों न भुगतने पड़े। किसान इससे पीछे नही हटगें। किसान महापंचायत बुलाने की वजह से अगर स्थिति किसी प्रकार से विपरीत बनती है, तो इसके लिए प्रदेश सरकार की सीधे तौर पर जिम्मेंदार होगी।