इस टेक्नोलॉजी से FASTag टोल टैक्स भुगतान बनेगा वर्ल्ड क्लास, 50 सेकंड में निकलेंगे वाहन
इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ईटीसी) को बढ़ावा देने के लिए, केंद्र सरकार ने FASTag (फास्टैग) की व्यवस्था लागू की। सरकार ने फास्टैग के इस्तेमाल को बढ़ाने के लिए फरवरी के महीने में इसे मुफ्त बांटा। अब सरकार Radio-frequency identification (RFID), रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटीफिकेशन (आरएफआईडी) की मदद से फास्टैग से टोल टैक्स भुगतान की तकनीक को विश्वस्तरीय बनाने जा रही है। इससे जाम नहीं लगेगा और वाहन चालक 50 सेकेंड में टोल भुगतान कर सकेंगे। इसके साथ ही साथ सरकार ने FASTag से जुड़ी शिकायतों के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर को अपग्रेड कर दिया है।
टोल संग्रह में जबरदस्त इजाफा
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने बताया कि इस हफ्ते 1.60 करोड़ FASTag की बिक्री हुई है। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक फास्टैग बिक्री में तेजी आई है।हर दिन करीब 1.20 लाख फास्टैग की बिक्री हो रही है। मंत्रालय ने सभी 544 टोल प्लाजा में ईटीसी टेक्नोलॉजी लगा दी है। टोल संग्रह में इसका जबरदस्त असर देखने को मिल रहा है। आंकड़ों के मुताबिक फरवरी में हर दिन 70 करोड़ रुपये (75 फीसदी) ऑनलाइन टैक्स कलेक्शन हुआ। पिछले साल जुलाई के महीने में यह आंकड़ा 19 करोड़ (29 फीसदी) रुपये प्रतिदिन था।
हेल्पलाइन नंबर हुआ अपग्रेड
FASTag को लेकर पेश आ रही समस्याओं के समाधान के लिए मंत्रालय ने हेल्पलाइन नंबर 1033 को अपग्रेड कर दिया है। बता दें कि 1033 हेल्पलाइन नंबर पर हर महीने 15,000 से ज्यादा शिकायतें दर्ज हो रही हैं। इनमें 55 फीसदी शिकायतें टोल प्लाजा पर लगे सेंसरों के गाड़ियों में लगे फास्टैग को रीड नहीं करने से जुड़ी हैं। फास्टैग रीड नहीं होने की वजह से ऑनलाइन भुगतान नहीं हो पाता। भुगतान में देरी होने की वजह से टोल प्लाजा में गाड़ियों की लंबी लाइन लग जाती हैं। इस जाम के कारण मुसाफिर घंटों परेशान होते हैं।
ईटीसी बनेगा वर्ल्ड क्लास
सरकार टोल प्लाजा पर ईटीसी तकनीक को विश्व स्तरीय बनाने की योजना तैयार कर रही है। इससे वाहन चालक फास्टैग से ऑनलाइन टोल टैक्स 50 सेकंड में जमा कर सकेंगे। इसके साथ ही लोगों के सफर को आसान बनाने के लिए कार और ट्रक के लिए टोल प्लाजा में लेन अलग करने की भी योजना है।
20 मीटर आगे लगेंगे फास्टैग सेंसर
गाड़ियों में लगे FASTag के जरिए टोल भुगतान में आ रही दिक्कतों के मद्देनजर सरकार टोल प्लाजा पर बैरियर केबिन से आगे फास्टैग रीडिंग सेंसर लगाने की योजना बना चुकी है। मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक फास्टैग एक नई तकनीक है और इसको लागू करने में कुछ समस्याएं भी पेश आ रही हैं।
टोल प्लाजा पर फास्टैग रीडिंग सेंसर टोल बैरियर के नजदीक लगे हैं। ये सेंसर फास्टैग को समय पर रीड नहीं कर पा रहे हैं। इस गड़बड़ी के देखते हुए अब मंत्रालय ने सेंसर को टोल केबिन से 20 मीटर पहले लगाने के निर्देश दिए हैं। इससे वाहन के केबिन तक पहुंचने से पहले ही सेंसर फास्टैग रीड कर लेगा और ऑनलाइन टोल टैक्स भुगतान हो जाएगा।
कार-ट्रक के लिए अलग लेन
टोल प्लाजा में अभी कार और ट्रक के लिए अलग-अलग लेन नहीं हैं। बड़े वाहनों के आगे खड़े होने से भी सेंसर फास्टैग रीड नहीं करते हैं। इसलिए जल्द ही कार और ट्रक की लेन को भी अलग-अलग करने की योजना है।
'कम हुआ टोल कलेक्शन का समय'
NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अध्यक्ष एसएस सिंधू ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि सेंसरों को टोल प्लाजा से आगे लगाने के निर्देश दे दिए गए हैं। इनफोर्समेंट टीमें इसे लागू करा रही हैं। RFID की मदद से फास्टैग से टोल टैक्स भुगतान की तकनीक को विश्वस्तरीय बनाया जा रहा है। इससे टोल प्लाजा पर जाम नहीं लगेगा और वाहन चालक 50 सेकेंड में भुगतान कर सकेंगे। हालांकि उन्होंने यह कहा कि फास्टैग के जरिए टोल वसूली होने के बाद से टोल प्लाजा पर लगने वाला समय कम हुआ है। पहले टोल भुगतान में 20 मिनट या इससे अधिक का समय लग जाता था।