पंचकूला- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता- - श्री वनखंडी दुर्गा मंदिर अमरावती एनक्लेव पंचकूला की 17वीं वर्षगाठ के अवसर पर मंदिर में पांच दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसके चौथे दिवस में दिव्य योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास सावी विवेका भारती जी ने महिषासुर मर्दन प्रसंग के अतर्गत बताया कि महिषासुर हमारे अवगुणों का प्रतीक है जिसे अगर हम समाप्त करना चाहते हैं तो हमें संगठन की आवश्यकता है जैसे देवताओं के संगठित होने पर ही शक्ति का अवतरण हुआ था जिससे महिषासुर का नाश हुआ। ठीक इसी प्रकार समाज में फैली कोई भी कुरीति जैसे कया भ्रूण हया, भ्रष्टाचार इयादि को अगर हम खत्म करना चाहते हैं तो हम सभी को एक जुट होना होगा। लेकिन यह संगठन यूं ही बातों से नहीं हो सकता उसके लिए ईश्ववर को जानने की आवश्यकता है।
पंचम नवरात्रे के दिन स्कदमाता की पूजा होती है। माँ की गोद में उनका पुत्र स्कद है, जिहें देवताओं के सेनापति कहा जाता है। हम सभी जानते हैं कि जब तारकासुर के आतंक से देवतागण भयभीत थे, तो उनका भय दूर करने के लिए सात्विक शक्ति के रूप में माँ ने उहें स्कद जैसा पुत्र प्रदान किया था। असुर का अर्थ अहंकार है, तो स्कद प्रकाश है। असुर अगर मुत्यु है, तो स्कद अमृतस्वरूप है। असुर यदि असत्य हैं, तो स्कद सत्य है। इस प्रकार माँ यही प्रेरणा देती है कि तुम भी ज्ञानस्वरूप स्कद को अपना सेनापति बनाकर जीवन युद्ध जीत जाओ। चौथे दिवस कथा को विराम माँ की पावन आरती द्वारा दिया गया।