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Panchkula

श्री वनखंडी दुर्गा मंदिर अमरावती एनक्लेव में देवी भागवत कथा का आयोजन।

February 13, 2020 06:28 PM

पंचकूला-- अग्रजन पत्रिका से इंद्रा गुप्ता-   श्री वनखंडी दुर्गा मंदिर अमरावती एनक्लेव पंचकूला की 17वीं वर्षगाठ के अवसर पर मंदिर में 10 से 14 फरवरी तक पांच दिवसीय श्रीमद् देवी भागवत कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसके तीसरे दिवस में दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक एवं संचालक श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या कथा व्यास साध्वी विवेका भारती जी ने माँ की कृपा से ओत-प्रोत एक ऐसे प्रसंग को श्रद्धालुओं के समक्ष रखा जिसमें संसार की नश्वरता, क्षणभंगुरता और क्षणिक प्रेम के बारे में बताया। साध्वी जी ने कहा संसार कभी भी किसी को सुख प्रदान नहीं करता। सुख मात्र मां भगवती की शरण और उसकी भक्ति में है। इसके अतिरिक्त उन्होंने इस प्रसंग में मां भगवती के अवतरण की बात कही कि जब-जब संसार में भक्तों के ऊपर अत्याचार होता है तब-तब दैवीय शक्ति विभिन्न रूपों में भक्त का रक्षण करने के लिए अवतरित होती है। मां का अवतरण इस बाह्य धराधाम पर ही नहीं अपितु मानव के हृदय में भी होता है। मां चेतन स्वरूप में सभी के भीतर विद्यमान है लेकिन उसके सुषुप्त होने के कारण हमें ज्ञान ही नहीं।
चौथे नवरात्रे के दिन मां भगवती की कूष्माण्डा के रूप में पूजा की जाती है। संस्कृत साहित्य के आधार पर इसका अभिप्राय है - 'कु ईषत् उषमा अण्डेषु बीजेषु यस्य' अर्थात् जो किसी भी बीज व अण्डे में से ऊर्जा को निकाल कर ग्रहण करती है, उसे कूष्माण्डा कहा जाता है। इस रूप के द्वारा मां हमारे ध्येय की ओर इशारा करती है कि इस सृष्टि के मूल में ऊर्जा समाई है जो परमात्मा का सूक्ष्म स्वरूप है। उस ऊर्जा को जान लेना ही हमारे नर तन का लक्ष्य है। आज हम अज्ञानतावश भटक रहे हैं किन्तु जब हमारे जीवन में एक ब्रह्मनिष्ठ गुरू का पर्दापण होता है तो हम इस ब्रह्मज्ञान की पद्धति को प्राप्त करते हैं और वह चेतना स्वरूप मां भगवती प्रकट हो जाती है, हमारी जाग्रति हो जाती है। इसलिए परम आवश्यकता है ब्रह्मज्ञान की। तीसरे दिवस कथा को विराम माँ की पावन आरती द्वारा दिया गया।

 
 
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