चंडीगढ, 4 फरवरी :- अग्रजन पत्रिका---‘ज्यादातर महिलाएं अपने व्यस्त कार्यक्रम के कारण अपने स्वास्थ्य की अनदेखी करती हैं, लेकिन कभी-कभी यह अज्ञानता उनके स्वास्थ्य के लिए बड़ी समस्या पैदा करती है। विशेष रूप से ग्रामीण महिलाओं में जागरूकता की कमी के कारण बीमारी का पता बहुत देर से लगता है।’’
वल्र्ड कैंसर डे पर अलकेमिस्ट हॉस्पिटल में आयोजित एक इंफॉर्मेटिव टॉक में डॉ इभा सीनियर कंसल्टेंट ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ने कहा कि भारत में महिलाओं में सबसे आम स्वास्थ्य समस्या सर्वाइकल कैंसर है। सर्वाइकल कैंसर का मुख्य कारण कुछ प्रकार के ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी)का लंबे समय तक चलने वाला संक्रमण है। एचपीवी एक सामान्य वायरस है । ज्यादातर मामलों में, आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली बिना किसी समस्या के संक्रमण को साफ करती है।
डॉ इभा ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर से बचाव संभव है। सर्वाइकल कैंसर के चार निवारक उपाय, नियमित स्क्रीनिंग, टीकाकरण, धूम्रपान और सुरक्षित यौन संबंधों से सर्वाइकल कैंसर से बचा जा सकता है । नियमित स्क्रीनिंग से सर्विक्स (गर्भाशय ग्रीवा) की कोशिकाओं के असामान्य परिवर्तन शुरुआती स्तर पर देखने में मदद मिलती है। स्क्रीनिंग में पीएपी परीक्षण और एचपीवी परीक्षण शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि स्क्रीनिंग 100 प्रतिशत सटीक नहीं है, इसलिए महिलाओं को योनि से असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज व पेल्विक दर्द जैसे लक्षणों की तुरंत डॉक्टर को रिपोर्ट करना चाहिए। दूसरा निवारक उपाय टीकाकरण है। एचपीवी टीकाकरण सर्विक्स के कैंसर के खतरे को काफी कम कर सकता है। एचपीवी टीकाकरण एचपीवी टाइप 16 और 18 से बचाता है, यह दो प्रकार 80 प्रतिशत से अधिक सर्वाइकल कार्सिनोमा के मामलों का कारण बनते हैं।
उन्होंने कहा कि 11 से 12 वर्ष उम्र की लड़कियों को एचपीवी टीकाकरण की दो खुराक दी जानी चाहिए। एचपीवी टीकाकरण 9 वर्ष की आयु के रूप में दिया जा सकता है। अगर लडक़ी की उम्र 15 और उससे अधिक है तो तीन खुराक दी जानी चाहिए। महिलाओं को 45 वर्ष की उम्र भी वैक्सीन दी जा सकती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि एचपीवी टीकाकरण करवाने के बाद भी सर्विक्स परीक्षण करवाना जरूरी है ।
डॉ अपर्णा शर्मा सीनियर कंसल्टेंट, ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी अलकेमिस्ट हॉस्पिटल ने कहा कि सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में मौत का सबसे बड़ा कारण है। उम्र बढऩे के साथ जोखिम बढ़ता है। सर्विक्स के कैंसर की जांच एक पैप स्मीयर द्वारा की जाती है। कोलपोस्कोपी और बायोप्सी निदान में मदद करते हैं। यदि जल्दी निदान किया जाता है, तो रोगी की जीवित रहने की दर अच्छी है।
डॉ कंवरनीत सिंह कंसल्टेंट- सर्जिकल ऑन्कोलॉजी ने बताया कि भारत में महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर दूसरा सबसे आम कैंसर है। भारत में महिलाएं कैंसर से जुड़ी शर्म और वर्जना की भावना के कारण बीमारी की रिपोर्ट में देरी करती हैं, जिससे इलाज मुश्किल हो जाता है। सर्वाइकल कैंसर रोके जाने वाले कैंसर में से एक है। रोकथाम एचपीवी के खिलाफ युवा महिलाओं का टीकाकरण, स्क्रीनिंग और अप्रभावी घावों के उपचार और यौन स्वास्थ्य के बारे में शिक्षा से हो सकती है।